सार

इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा है कि अभी के आईटी कानूनों में बदलाव की जरूरत है। इसमें खामियां हैं। क्योंकि यह कानून 22 साल पहले तब बना था, जब इंटरनेट का इस्तेमाल आज की तरह नहीं हुआ करता था।

टेक डेस्कः अभी जो आईटी कानून हैं, उसमें कई तरह की खामियां है। इसका कारण भी सामान्य है। आज भारत में साइबर स्पेस को नियंत्रित करने वाला कानून 22 साल पुराना है। ये कानून ऐसे समय में लागू किया गया था, जब इंटरनेट ना के बराबर था। या फिर उस समय ऐसा कॉमर्शियल इंटरनेट नहीं हुआ करता था जैसा कि आज है। इसलिए मुझे लगता है कि हमें एक नए कानून (IT Law Change) की आवश्यकता है। यह बातें इलेक्ट्रॉनिक और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर (IT Minister Rajiv Chandrashekhar) ने एक इंटरव्यू के दौरान कही। उन्होंने इसे ट्वीट भी किया है। 

डेटा प्राइवेसी का मुद्दा है बड़ा
उन्होंने आगे कहा कि हमें नए कानून की जरूरत है। कानून बनाने के साथ ही हमें इसका पुख्ता सेट तैयार करना होगा। साइबर सुरक्षा के लिए हमारा कदम मजबूत होना चाहिए। यह डेटा सुरक्षा, डेटा प्राइवेसी के लिए भी होगा, यह डेटा मैनेजमेंट के मुद्दे को हल करेगा। जानकारी दें कि हाल ही में भारत सरकार ने ट्विटर को केंटेट हटाने और कंटेंट पोस्ट करने वाले यूजर्स पर कार्रवाई करने को लेकर आदेश दिया था। ट्विटर ने इस आदेश को माना भी था। लेकिन इसको लेकर कोर्ट भी गया था। वहीं से आईटी कानूनों को लेकर बातें शुरू हो गई थी।  

सरकारी आदेशों में हुई बढ़ोतरी
हाल के दिनों में सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज को आईटी (Information Technology) एक्ट, 2000 के सेक्शन 69ए के तहत कंटेंट को हटाने या ब्लॉक करने के सरकारी आदेशों में बढ़ोतरी हुई है। यह कानून 22 साल पुराना है जो कि इस समय भारत के साइबर स्पेस को रेगुलेट करता है। इस कानून में अब संशोधन की बात चलने लगी है। 

कोविड के दौरान हुए कई साइबर फ्रॉड
कोरोना के दौरान कई साइबर फ्रॉड की घटना सामने आयी। अब तो भारत साइबर अपराधियों का पसंदीदा ठिकाना बन गया है। एक रिपोर्ट के अनुसार 2020 में भारत में 11.6 लाख साइबर हमले हुए और 2021 में 14 लाख के करीब हमला हुआ। इस तरह एशिया में भारत तीसरा देश है, जहां सबसे ज्यादा साइबर हमले हुए हैं। इन आंकड़ों से साफ झलकता है कि भारत के साइबर इंफ्रास्ट्रक्चर की हिफाजत के लिए व्यापक रेगुलेटरी फ्रेमवर्क मौजूद होना बेहद जरूरी है। कानून में ऐसी चुनौतियों को हल करने के लिए खास प्रावधान होने चाहिए।

डाटा प्राइवेसी की सबको है जरूरत
ऑनलाइन बैंकिंग, ई-कॉमर्स, अपने सगे-संबंधियों और दोस्तों से चैट करने जैसे मामलों में भी प्राइवेसी की जरूरत है। सभी के लिए एन्क्रिप्शन जरूरी है ताकि लोगों की प्राइवेसी और सुरक्षा सुनिश्चित हो। इससे हम हैकिंग, सर्विलांस और जासूसी जैसे खतरों से भी बच पाएंगे। आईटी सेक्टर से जुड़े जानकारों की मांग रहती है कि डेटा सुरक्षा बढ़ाने के लिए हाई एन्क्रिप्शन पर जोर दिया जाना जरूरी है। इससे सेक्शन 84ए को अच्छे तपरीके से लागू किया जा सकेगा। इसके तहत केंद्र सरकार एन्क्रिप्शन के तरीके को निर्धारित कर सकती है। 

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