सार
चांद और सूरज मिशन के बाद इसरो का अभियान और भी तेजी से आगे बढ़ रहा है। आगामी दिनों में कई और ग्रहों पर फतह की तैयारी स्पेस एजेंसी ने कर रखी है। इससे अंतरिक्ष में भारत की अलग ही साख बन जाएगी।
टेक डेस्क : चंद्रयान-3 से चांद और आदित्य L1 से सूर्य को मुट्ठी में रहने वाला भारतीय स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) की लिस्ट में बैक टू बैक कई मिशन हैं। इनमें से कुछ का जिक्र तो चंद्रयान 3 की सफलता के बाद खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में किया था। इन स्पेस मिशन के जरिए अंतरिक्ष में भारत साख और दुनिया में दमदारी बढ़ती जाएगी। आइए जानते हैं चांद और सूरज के बाद इसरो अब किन ग्रहों पर जाने की तैयारी कर रहा है...
ISRO का मंगलयान 2
मंगलयान-1 की सफलता के बाद से ही इसरो मंगलयान-2 यानी मार्स ऑर्बिटर मिशन-2 की तैयारी में जुटा है। इस मिशन में स्पेस एजेंसी ऑर्बिटर को मंगल ग्रह के करीब वाले ऑर्बिट में पहुंचाएगा। जहां मंगल ग्रह से जुड़ी अहम जानकारियां जुटाई जाएंगी। बता दें कि मंगलयान-1 का खर्च भी काफी कम था। लॉन्च व्हीकल, स्पेसक्राफ्ट और ग्राउंड सेग्मेंट तक की लागत सिर्फ 450 करोड़ रुपए थी।
इसरो का मिशन शुक्र
भारत शुक्र ग्रह पर भी जाने की तैयारी कर रहा है। मिशन शुक्र में इसरो जुटा हुआ है। इस मिशन के जरिए शुक्र ग्रह की सतह और वातावरण का अध्ययन किया जाएगा। इसरो शुक्र रप एक ऑर्बिटर भेजेगा। हालांकि, यह कब लॉन्च होगा, इसकी जानकारी नहीं है। लेकिन कहा जा रहा है कि ये मिशन भी साल 2024 में लॉन्च हो सकता है।
इसरो का मिशन गगनयान
मंगल के बाद इसरो का प्लान शुक्र ग्रह तक जाने का भी है। इसके लिए गगनयान मिशन मानव अंतरिक्ष उड़ान का शुरुआती फेज होगा। तीन चरण में यह मिशन पूरा होगा। दो बार मानवरहित मिशन पूरा किया जाएगा और एक बार इंसान को शुक्र ग्रह पर भेजा जाएगा। मिशन गगनयान को वैसे तो पिछले साल 2022 में ही लॉन्च होना था लेकिन अभी मिशन की तैयारियां जारी हैं। उम्मीद है कि अगले साल 2024 या 2025 तक इसे रवाना कर दिया जाएगा। बता दें कि अगले साल की शुरुआत में इसरो पहला मानवरहित फ्लाइट टेस्ट भी कर सकता है। इस यान को 'व्योममित्र' नाम इसरो ने दिया है।
क्लाइमेट ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट
बहुत जल्द भारतीय स्पेस एजेंसी क्लाइमेट ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट इनसैट-3 डीएस भी लॉन्च करने जा रही है। इसकी तैयारियों को लेकर कहा जा रहा है कि यह अपने आखिरी दौर में है। आने वाले कुछ महीनों में कई रक्षा और पर्यावरणीय अध्ययन के सैटेलाइट्स भी इसरो लॉन्च कर सकता है।
मिशन निसार
इसरो और नासा (NISAR) साथ मिलकर पृथ्वी के बदलते इकोसिस्टम का अध्ययन करेंगे। इसके लिए अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट दोनों स्पेस एजेंसी मिलकर तैयार कर रही हैं। इसकी मदद से ज्वालामुखियों, ग्लेशियर के पिघलने, पृथ्वी की सतह पर होने वाले बदलावों के बारें में जानकारी जुटाई जाएगी। यह मिशन भी 2024 तक लॉन्च हो सकता है।
स्पेडेक्स
भारत भविष्य में अंतरिक्ष में स्पेस स्टेशन बनाने की तैयारी भी कर सकता है। ऐसे में स्पेस डॉक की आवश्यकता पड़ेगी। इसके लिए स्वदेशी स्पेडेक्स इसरो तैयार कर रहा है। दरअसल, अंतरिक्ष स्टेशन बनाने से पहले दो उपग्रहों को आपस में जोड़ने की क्षमता को पाना जरूरी होता है। इसी को स्पेस डॉकिंग कहते हैं।
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