सार

1956 में  बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का निधन हुआ था। उन्होंने हिन्दू धर्म को छोड़कर अपने अनुयायी के साथ बौद्ध धर्म अपना लिया था।

टेंडिंग डेस्क. डॉ भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 में मध्यप्रदेश के महू में हुआ था। डॉ भीमराव अंबेडकर के पिता का नाम रामजी मालोजी सकपाल था।  डॉ भीमराव अंबेडकर भारत को भारत के संविधान नर्मिता के नाम से भी जाना जाता है। उन्हें प्यार से बाबा साहब के नाम से भी पुकारा जाता है। अंबेडकर महार जाति के थे। नीची जाति का होने के कारण उन्हें बचपन से ही भेदभाव का सामना करना पड़ा।

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वो शुरू से ही पढ़ने में एक होशियार छात्र थे। हालांकि छुआछूत और भेदभाव  के कारण उन्हें अपनी जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा। वे मुंबई के एल्फिंस्टन रोड पर स्थित एक सरकारी स्कूल के पहले ऐसे छात्र थे जो अछूत थे। लेकिन पढ़ाई के प्रति उनका जज्बा ऐसा था कि उन सभी बाधाओं को पीछे छोड़कर उन्होंने 1913 में अमेरिका के कोलंबिया यूनिवर्सिटी से डिग्री ली। लंदन में पढ़ाई के दौरान उन्हें स्कॉलरशिप भी मिली। भारत वापस आने के बाद उन्होंने मुंबई के सिडनेम कॉलेज में प्रोफेसर बन गए। बाद में उन्होंने पीएचडी भी की। उन्होंने अर्थशास्त्र में डॉक्टोरेट की उपाधियां हासिल की।

बाबा साहेब अपने पूरे जीवन में जात पात और असमानता के खिलाफ लड़ते रहे। वह दलित समुदाय को समान अधिकार देने की पैरवी करते रहे। उन्होंने लॉ भी किया और कुछ समय के लिए उन्होंने वकालत भी की। बाद में वे राजनीति में जुड़ गए। वे देश और समाज के लिए संघर्ष करते रहे। अंबेडकर ने लेबर पार्टी का गठन किया था। वो आजाद भारत के पहले कानून मंत्री बने थे।वो राज्यसभा से सांसद भी रहे। 

लोकसभा चुनाव हार गए थे अंबेडकर
बाबा साहब अंबेडकर को लोकसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था। 1952 में हुए लोकसभा चुनाव में डॉ भीमराव अंबेडकर को कांग्रेस प्रत्याशी के हाथों हार का सामना करना पड़ा था। उसके बाद उन्होंने उपचुनाव भी लड़ा लेकिन हार का सामना करना पड़ा।

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गांधी से था मतभेद
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, महात्मा गांधी और भीमराव अंबेडकर के बीच कई मुलाकातें हुईं लेकिन दोनों के बीच कई बार मतभेद भी सामने आया। दलित के मुद्दों पर अंबेडकर और गांधी के बीच हमेशा मतभेद रहा। 

नेहरू के मंत्रिमंडल से दिया था इस्तीफा
डॉ भीमराव आंबेडकर भारत के पहले कानून मंत्री थे। नेहरू कैबिनेट में मंत्री बनने के बाद नेहरू से कई मुद्दों पर उनका मतभेद था। जिसके बाद उन्होंने 27 सितम्बर 1951 को जवाहरलाल नेहरू कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था। 

संविधान के निर्माण की अहम जिम्मेदारी
डॉ भीमराव अंबेडकर भारत के संविधान तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष थे। इसी कारण से उन्हें संविधान का निर्माता माना जाता है। संविधान तैयार करने में इनका सबसे अधिक योगदान था। संविधान सभा में कुल 379 सदस्य थे, जिसमें 15 महिलाएं थीं। संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ. भीमराव अंबेडकर थे।