सार
यह दिल दहलाने वाली घटना बांग्लादेश में हुई। एक एक बेकाबू ट्रक ने पूरी फैमिली को रौंद दिया। हादसे के समय महिला गर्भवती थी। जैसे ही पहिया उसके ऊपर से निकला, उसकी प्रसव पीड़ा बढ़ गई। उसने तड़पते हुए इस बच्ची को जन्म दिया। हादसे में इस बच्ची के राइट हैंड की हड्डी दो जगह से टूट गई थी।
ढाका. 'जाको राखें साइयां मार सके न कोय!' ये कहावत इस मासूम पर सटीक बैठती है, जिसने भयंकर सड़क दुर्घटना के बावजूद जन्म लिया। दिल दहलाने वाली यह घटना(Heart Breaking Accident) बांग्लादेश में 15 जुलाई को हुई थी। एक बेकाबू ट्रक ने पूरी फैमिली को रौंद दिया। हादसे के समय महिला गर्भवती थी। जैसे ही पहिया उसके ऊपर से निकला, उसकी प्रसव पीड़ा बढ़ गई। उसने तड़पते हुए इस बच्ची को जन्म दिया। हादसे में इस बच्ची के राइट हैंड की हड्डी दो जगह से टूट गई थी। इस बच्ची की मदद के लिए जैसे लोगों की होड़ मच गई है। 29 जुलाई को बच्ची को चिल्ड्रन होम में भेजा गया है। पढ़िए रुला देने वाली ये घटना...
13.3 टन वजन ले रहा था ट्रक
15 जुलाई को दोपहर करीब 12 बजे जहांगीर आलम अपनी गर्भवती बीवी रत्ना बेगम, एक बेटी और दो बेटों साथ आम लेकर चपैनवाबगंज से किशोरगंज के लिए निकले थे। वे आम बेचते थे। जब वह त्रिशाल बस-स्टैंड पहुंचे, तभी बेकाबू ट्रक तीनों के ऊपर से दौड़ पड़ा। इससे तीनों की मौके पर ही मौत हो गई। हादसे में जहांगीर के दो बच्चे 8 साल का जन्नतुल फिरदौस और 5 साल का इबादत घायल हुए थे, जिनका अभी अस्पताल में इलाज चल रहा है। लेकिन मरते-मरते रत्ना बेगम इस बच्ची को जन्म दे गईं। हादसे के बाद जहांगीर के पिता मुस्तफिजुर रहमान ने त्रिशाल पुलिस में मामला दर्ज कराया।
रैपिड एक्शन बटालियन(RAB) के अनुसार, ट्रक ड्राइवर के पास चालक के पास भारी वाहन चलाने का लाइसेंस नहीं था। आरएबी के प्रवक्ता खांडाकर अल मोइन ने मीडिया को बताया कि ट्रक का टैक्स टोकन और फिटनेस सर्टिफिकेट भी समाप्त हो गया था। ट्रक की क्षमता 6 टन माल ढोने की थी, लेकिन दुर्घटना के दौरान वह 13.3 टन ले जा रहा था। ड्राइवर के पास केवल मीडियम व्हीकल्स का लाइसेंस था, लेकिन 2016 वो भी खत्म हो चुका था। आरएबी अधिकारी के मुताबिक अब जाकर ड्राइवर राजू अहमद शिपन को अरेस्ट कर लिया गया है। वो कभी बस ड्राइव का सहायक हुआ करता था। गिरफ्तारी से बचने ड्राइवर भाग गया था।
कुछ पॉइंट में समझिए पूरी घटना
15 जुलाई को एक भयंकर दुखद सड़क दुर्घटना के दौरान पैदा हुई इस बच्ची को ढाका के एक बाल गृह( children’s home) में रखा जाएगा। डिस्ट्रिक सोशल सर्विसेज डिपार्टमेंट के डिप्टी डायरेक्टर मो. वलीउल्लाह ने बताया कि शुक्रवार सुबह करीब 10 बजे उसे मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल से चिल्ड्रन होम छोटू मोनी निबाश(Chhoto Moni Nibash) भेजा गया। राष्ट्रीय बाल कल्याण बोर्ड(The National Child Welfare Board ) ने सरकार की पूर्ण निगरानी में बच्चे को बाल गृह में रखने का फैसला किया है। बच्ची का नाम नेशनल चाइल्ड वेलफेयर बोर्ड और परिवार की इच्छा के अनुसार फातिमा रखने का फैसला किया गया है। फातिमा के दादा मुस्तफिजुर रहमान बबलू ने कहा कि प्रशासन की पहल से परिवार खुश है।
बच्ची दो साल चिल्ड्रन होम में रहने के बाद परिजनों को सौंप दी जाएगी। पूरा परिवार चाहता था कि नवजात बच्ची का नाम फातिमा रखा जाए। फातिमा के दादा बबलू ने कहा-मुझे खुशी है कि डिप्टी डायरेक्टर और समिति के सदस्यों ने हमारी इच्छाओं का सम्मान किया।
जब यह बच्ची एक्सीडेंट के बाद सड़क पर जन्मी, तब उसका सीधा हाथ दो जगह से टूट गया था। लेकिन अब बच्ची पूरी तरह स्वस्थ है। बच्ची का मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल में इलाज चल रहा है। डॉक्टरों ने कहा है कि उसकी शारीरिक स्थिति में सुधार हो रहा है। शुरुआत में निजी अस्पताल सीबीएमसी ने उसकी प्राथमिक देखभाल की। बाद में बच्चे के पिता जहांगीर के पड़ोसी लबीब प्राइवेट अस्पताल के मालिक शाहजहां ने इलाज की जिम्मेदारी संभाली। वहां तीन दिन तक इलाज के दौरान अन्य नई माताओं ने उसे स्तनपान कराया। मयमनसिंह मेडिकल कॉलेज अस्पताल के नवजात विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ मोहम्मद नजरूल इस्लाम ने बताया कि बच्चे की शारीरिक स्थिति पहले से बेहतर है।
बच्ची और उसके परिवार की मदद के लिए कई लोग आगे आए हैं। बच्ची और उसके दो भाइयों की मदद के लिए बैंक में खाते खुलवाए गए हैं। जिला प्रशासन ने 18 जुलाई को रत्ना अख्तर रहीमा के इस नवजात बच्ची और दो अन्य बच्चों की सहायता के लिए सोनाली बैंक, त्रिशाल शाखा जारी में ये खाते खुलवाए। प्रशासन ने अकाउंट नंबर-324101028728 जारी करते हुए लोगों से मदद की अपील की है। नवजात शिशु के दादा मुस्तफिजुर रहमान और त्रिशाल उपजिला निर्बाही अधिकारी (यूएनओ) खाते को मैनेज करेंगे। इस बीच खाता खोलने के दो दिनों के भीतर 1,69,000 रुपये(बांग्लादेशी करेंसी) जमा कर दिए गए हैं। UNO Aktaruzzaman ने जिला प्रशासन की ओर से बैंक खाता चेक बुक के साथ परिवार को 10,000 रुपये की सहायता दी।
इधर,18 जुलाई को हाईकोर्ट में एक रिट दायर कर इस आशय का निर्देश देने की मांग की गई थी कि बच्चे के रहने का खर्च जीवन भर राज्य द्वारा वहन किया जाए। सुप्रीम कोर्ट के वकील सैयद महसीब हुसैन ने हाईकोर्ट की संबंधित शाखा को रिट सौंपी। हाईकोर्ट ने बच्चे की देखभाल के लिए कमेटी गठित करने का आदेश दिया। समाज कल्याण मंत्रालय को अगले तीन महीने के भीतर इस समिति का गठन करने को कहा गया। हाईकोर्ट ने नवजात के परिवार को फिलहाल पांच लाख रुपये मुआवजा देने का भी आदेश दिया है। सड़क हादसों का मुआवजा देने के लिए गठित ट्रस्टी बोर्ड को यह राशि अगले 15 दिनों के भीतर देने को कहा गया है।
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