सार

जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह (गुरु) की स्थिति शुभ नहीं होती, उन्हें अपने जीवन में पढ़ाई, नौकरी, दांपत्य जीवन तथा स्वास्थ्य से संबधित अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग यदि गुरु पूर्णिमा पर कुछ विशेष उपाय करें तो उन्हें फायदा हो सकता है।

उज्जैन. हर साल आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। इस बार ये पर्व 16  जुलाई, मंगलवार को है। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. प्रफुल्ल भट्ट के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में बृहस्पति ग्रह (गुरु) की स्थिति शुभ नहीं होती, उन्हें अपने जीवन में पढ़ाई, नौकरी, दांपत्य जीवन तथा स्वास्थ्य से संबधित अनेक परेशानियां का सामना करना पड़ता है। ऐसे लोग यदि गुरु पूर्णिमा पर कुछ विशेष उपाय करें तो उन्हें फायदा हो सकता है।

गुरु पूर्णिमा पर ये उपाय करें...

1. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर हर गुरुवार को चमेली के 9 फूल बहते हुए जल में प्रवाहित करना चाहिए।

2. गुरु पूर्णिमा को सोने या चांदी के पतरे पर बृहस्पति यंत्र बनवाकर उसे पूजन स्थान पर रखना चाहिए तथा रोज उस यंत्र की विधि-विधान से पूजा करनी चाहिए।

3. गुरु पूर्णिमा या गुरु पुष्य योग से शुरू कर 7 गुरुवार तक घोड़े को चने की दाल खिलाएं।

4. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर नीचे लिखे मंत्रों में से किसी एक का रोज जाप करना चाहिए-

बृहस्पति एकाक्षरी बीज मंत्र- ऊं बृं बृहस्पतये नम:।
बृहस्पति तांत्रिक मंत्र- ऊं ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरवे नम:।।
बृहस्पति गायत्री मंत्र- ऊं आंगिरसाय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि तन्नो जीव:प्रचोदयात्।।

इन मंत्रों का जाप उत्तर दिशा की ओर मुख करके किया जाए तो शुभ रहता है।

5. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर 27 गुरुवार तक किसी मंदिर में गाय के घी का दीपक जलाने से शुभ फल मिलते हैं।

6. गुरु पूर्णिमा पर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। इसके बाद प्रतिदिन श्रीविष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें।

7. गुरु पूर्णिमा पर अपने गुरु अथवा किसी साधु को पीले वस्त्र उपहार में देना चाहिए। ये किसी सौभाग्यवती स्त्री को भी दिए जा सकते हैं।

8. गुरु पूर्णिमा से शुरू कर प्रत्येक गुरुवार को देवगुरु बृहस्पति को पीले कनेर के फूल चढ़ाएं।