सार
मैनपुरी में एक मां को उसके बेटों ने छह माह तक अंधेरी कोठरी में कैद रखा। इस तरह मां को कोठरी में कैद रखने के पीछे की वजह जानकर हर कोई हैरान है। बुजुर्ग मां की कहानी सुनकर हर कोई हैरान है।
मैनपुरी: उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद में एक मां के साथ बेटों के द्वारा किए गए सलूक के बाद हर कोई हैरान है। यहां ग्राम पंचायत आलीपुर खेड़ा के एक ग्राम प्रधान संत प्रकाश स्वर्णकार ने एक कोठरी में बंद 70 वर्षीय विधवा सोमवती को मुक्त करवाया। इस बीच अंदर का हाल देखकर सभी हैरान थे। कोठरी के अंदर गंदगी और मल बिखरा पड़ा हुआ था। एक थाली में रूखा खाना रखा था। इसी खाने को खाकर वृद्धा किसी तरह से गुजर-बसर कर रही थी। वृद्धा ने जब अपनी इस हालत के लिए अपने ही बेटों को जिम्मेदार बताया तो हर कोई हैरान था। सभी की आंखे बुजुर्ग की कहानी सुनकर नम हो गईं। मौके पर मौजूद ग्राम प्रधान की मदद की वजह से ही वृद्धा कैद से मुक्त हो सकी। जब वह कमरे से बाहर आई तो उसकी आंखों में आंसू थे।
वृद्धा के पति की एक साल पहले हुई थी मौत
ग्राम प्रधान की ओर से जानकारी दी गई कि वृद्धा के पति मेघ सिंह की मौत एक वर्ष पहले हो गई थी। उनका एक बेटा चंद्रशेखर कुछ ही दूरी पर झोपड़ी बनाकर रहता है। जबकि उनका दूसरा बेटा छविनाथ गांव के अंदर मकान बनाकर रहता था। दोनों बेटों के जन्म देने वाली मां की इस दुर्गति को देखकर हर कोई हैरान है। प्रधान के साथ ही ग्रामीणों ने जब बुजुर्ग मां की हालत को देखा तो वह दंग रह गए। बुजुर्ग अंधेरी कोठरी में ही शौच क्रिया करती थी। इस मामले को लेकर ग्राम प्रधान ने पुलिस को घटना से अवगत करवाया।
कमरे से आ रही थी दुर्गंध, बाहर सभी को देखकर हुई हैरान
छह माह तक अंधेरे में रहने के बाद बुजुर्ग का शरीर सिर्फ कंकाल मात्र रह गया है। ग्राम प्रधान जब अंधेरी कोठरी में दाखिल हुआ तो उसे दुर्गंध के चलते मुंह ढकना पड़ा। महिला जब बाहर आई तो धूप की वजह से उसकी आंखे चौंधिया गईं। आंखे खुली तो अंजाम लोगों को सामने देखकर उसका दर्द छलक पड़ा। वृद्धा ने कहा कि उसे कैद से बाहर निकाला जाए।
बेटों की ओर से दी गई ये सफाई
प्रधान की ओर से जब बेटों से जन्मदायनी को कैद रखने के लिए सवाल किया गया तो उन्होंने मां को मानसिक रूप से बीमार बताया। बेटे चंद्रशेखर के अनुसार मां मानसिक रूप से बीमार हैं और घर से चली जाती हैं। कुछ समय पहले वह बोरिंग में गिर गई थीं। सुरक्षा की दृष्टि से उन्हें कमरे में रखा जा रहा है। वह खेतीबाड़ी करते हैं और मां की हर समय निगरानी नहीं कर सकते हैं।
'अग्निपथ' विरोध: प्रदर्शन की आड़ में भड़की हिंसा, प्रदर्शनकारियों ने फूंक दी दारोगा की कार