सार
निजामाबाद सीट अपने आप में काफी अहम है। यहां देवल और दत्तात्रेय तथा दुर्वासा ऋषि के आश्रम हैं तो वही दूसरी और ऐतिहासिक गुरुद्वारा भी है। कांग्रेस के छोड़कर किसी भी राजनीतिक दल ने अभी तक यहां से अपना प्रत्याशी नहीं घोषित किया है। मौजूदा विधायक से जनता की नाराजगी इस सीट पर चुनाव को और भी अधिक दिलचस्प बना रही है।
रवि प्रकाश सिंह
आजमगढ़: यूपी में चुनावी दंगल शुरू होने के साथ ही अब राजनीति तेज हो गई है। हर बार की तरह इस बार भी लोग मतदाताओं के पास जाकर अपने-अपने दावे ठोक रहे हैं ,कोई जात के नाम पर तो कोई धर्म के नाम पर मतदाताओं को लुभाने में लगा हुआ है। आज हम बात कर रहे हैं आजमगढ़ की निजामाबाद विधानसभा सीट की पौराणिक दृष्टि से निजामाबाद विधानसभा सीट की। यह सीट अपने आप में काफी मायने रखती है क्योंकि यहां जहां एक तरफ देवल और दत्तात्रेय तथा दुर्वासा ऋषि के आश्रम है वहीं दूसरी तरफ ऐतिहासिक गुरुद्वारा भी है, जहां सिखों के प्रथम धर्म गुरु नानक देव द्वारा हस्तलिखित गुरु ग्रंथ साहब और सिखों के दसवें धर्मगुरु गोविंद सिंह के अस्त्र शास्त्र आज भी यहां मौजूद हैं।
कांग्रेस पार्टी को छोड़ कर के अब तक इस विधानसभा सीट पर किसी भी पार्टी ने अपना प्रत्याशी घोषित नहीं किया है, लेकिन समाजवादी पार्टी की तरफ से हर बार चुनाव लड़ने वाले वर्तमान विधायक आलम बदी की दावेदारी को समाजवादी पार्टी की तरफ से तय माना जा रहा है। वही बहुजन समाज पार्टी से कैलाश यादव अपनी दावेदारी जता रहे हैं जब कि कैलाश यादव के भांजे मनोज यादव भारतीय जनता पार्टी से टिकट मांगने वाले लाइन में लगे हुए हैं। इसके अलावा टिकट मांगने वालों में बीजेपी की तरफ से इस सीट पर चुनाव लड़कर परास्त हुए विनोद राय भी पार्टी में दावेदारी करने वालों में सबसे आगे की लिस्ट में हैं। वहीं दूसरी तरफ पेशे से डॉक्टर और पिछले कई सालों से क्षेत्र में लोगों के बीच लगातार लगे हुए डॉक्टर पीयूष की भी चुनावी मैदान में उतरने की संभावना है।
बात करते हैं निजामाबाद विधानसभा के समीकरण की निजामाबाद विधानसभा में अनुसूचित जाति के लगभग 70285 मतदाता है। जबकि पिछड़ी जाति के लगभग 159151 मतदाता क्षेत्र में है वहीं सामान्य वर्ग के मतदाताओं की अगर बात करें तो निजामाबाद विधानसभा क्षेत्र में मात्र 33837 मतदाता है जबकि मुस्लिम और सिख मतदाताओं की संख्या 60900 है। इसके अलावा 176 यहां अन्य बिरादरी के वोट हैं। यानी कुल मिलाकर के 326349 मतदाता यहां प्रत्याशी के भाग्य का फैसला करेंगे, जिनमें 159151 पिछड़ी जाति के वोट यहां किसी भी प्रत्याशी को जीत और हार में मददगार साबित हो सकते हैं। शायद इसी लिए कांग्रेस पार्टी ने अनिल यादव को चुनावी मैदान में उतारा है। वहीं भाजपा भी इस बार निजामाबाद विधानसभा क्षेत्र में पिछड़े वर्ग के प्रत्याशी को उतारने का दांव खेल सकती है। ऐसे में यदि बसपा भी पिछड़ा वर्ग प्रत्याशी मैदान में उतारती है तो यहां का चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प रहेगा।
वर्तमान समय में मौजूदा विधायक आलम बदी से क्षेत्र की जनता कुछ नाराज लग रही है लिहाजा इस बार समाजवादी पार्टी की राह भी यहां आसान नहीं दिख रही। अब प्रत्याशियों की घोषणा के बाद ही यह तय होगा की आजमगढ़ की निजामाबाद विधानसभा सीट किस पार्टी के खाते में जाती है।