सार
कोरोना महामारी के चलते दो साल बाद नौचंदी मेले का रविवार को आचार संहिता के बीच उद्घाटन हुआ। रंगारंग कार्यक्रमों के बीच आईजी प्रवीण कुमार, कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह, डीएम और एसएसपी ने पारंपरिक रूप से मेले का उद्घाटन किया। इस दौरान काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
मेरठ: कोरोना महामारी के चलते दो साल बाद नौचंदी मेले का आगाज हो गया है। रविवार यानी 27 मार्च को आचार संहिता के बीच उद्घाटन हुआ। हिंदू-मुस्लिम एकता के प्रतीक मेरठ के ऐतिहासिक मेले का भव्य शुरुआत हो गई है। रंगारंग कार्यक्रमों के बीच आईजी प्रवीण कुमार, कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह, डीएम और एसएसपी ने पारंपरिक रूप से मेले का उद्घाटन किया। इस दौरान काफी संख्या में लोग मौजूद रहे।
12 अप्रैल के बाद मेले चढ़ेगा परवान
जिले के सभी आला अधिकारियों ने मेले का उद्घाटन कर प्राचीन चंडी मंदिर में पूजन कर चुनरी चढ़ाई और मंदिर के सामने स्थित हजरत बाले मियां की मजार पर चादर चढ़ाकर मेले के शांतिपूर्ण आयोजन की दुआ की। रात लगभग नौ बजे तक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला चलता रहा। कोरोना संक्रमण के कारण दो साल से मेला नौचंदी का आयोजन नहीं हो पा रहा था। उद्घाटन के बाद सांस्कृतिक समारोह में सतरंगी छटा बिखेरी। 12 अप्रैल तक आचार संहिता लगी हुई है। ऐसे में इसके बाद ही मेले के परवान चढ़ने के आसार हैं।
प्रदेश सरकार ने प्रांतीय मेला किया घोषित
राज्य का यह ऐतिहासिक मेले का हिस्सा बनने के लिए दूर-दूर से देखने आते हैं साथ ही इस मेले में लोग अपनी दुकानें भी लगाते है। इस भव्य मेले को देखने के लिए आसपास के कई जिलों से लोग आते है। कोरोना महामारी के कारण दो साल के अंतराल के दौरान मेले को प्रदेश सरकार ने प्रांतीय मेला घोषित कर दिया है। जिसके बाद से अब मेले पर मालिकाना हक जताने का नगर निगम और जिला पंचायत का विवाद भी खत्म हो गया है। रविवार शाम पांच बजे शहीद द्वार के पास मेले का पारंपरिक उद्घाटन का भव्य समारोह हुआ। साथ ही जिला प्रशासन द्वारा इस वर्ष कार्यदायी एजेंसी के रूप में जिला पंचायत को मेला आयोजन की जिम्मेदारी दी गई है।
महांपुरुषों की प्रतिमाओं पर किया माल्यार्पण
जिले के आला अधिकारियों ने मेला स्थल पर स्थापित पांचों महांपुरुषों की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण किया। उसके बाद शांति के प्रतीक सफेद कबूतर उड़ाकर मेले का उद्घाटन किया। इतना ही नहीं मेले के बोर्ड ने गुब्बारे उड़ाकर उन्होंने पूरे शहर को मेले के उद्घाटन की सूचना देने की रस्म को भी पूरा किया। यहां से अधिकारियों और प्रमुख लोगों का काफिला प्राचीन चंडी मंदिर पहुंचा। यहां के पुजारी संजय शर्मा ने पूजन कराकर चुनरी चढ़वाई। तो वहीं पंडित विपिन शर्मा ने हवन-पूजन कराया।
चंडी मंदिर समिति अध्यक्ष महेंद्र शर्मा ने अधिकारियों का स्वागत किया। उसके बाद मंदिर के सामने स्थित हजरत बाले मियां की मजार पर पहुंचकर अधिकारियों ने चादर चढ़ाई व मेले के शांतिपूर्ण आयोजन की कामना की। उनको वहां पर मौजूद मुतवल्ली मुफ्ती अशरफ सज्जादानशीं ने दुआ कराई। इसके बाद शहीद द्वार के पास स्थित कार्यक्रम स्थल पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का सिलसिला शुरू हुआ। गणेश वंदना के साथ शुरू हुए कार्यक्रम रात लगभग 9 बजे तक चलते रहे। इस दौरान जिलाधिकारी के. बालाजी, एसएसपी प्रभाकर चौधरी, मेला नोडल अधिकारी सिटी मजिस्ट्रेट अमित भट्टï, जिला पंचायत के एएमए एसके सिंह, सरबजीत कपूर आदि मौजूद रहे। संचालन संजय शर्मा ने किया।
स्थानीय कलाकारों तथा स्वयं सहायता समूहों को मिलेगा बढ़ावा
ऐतिहासिक मेले के उद्घाटन के दौरान कमिश्नर सुरेन्द्र सिंह ने कहा कि नौचंदी मेला इस बार कुछ हटकर होगा। उन्होंने कहा कि मेला स्वस्थ मनोरंजन करेगा, स्वच्छता और सुरक्षा के साथ आयोजित होगा। आपसी तालमेल का सिलसिला प्रांतीय मेला हो जाने के अभाव के बाद खत्म हो जाएगा। मेले में स्थानीय कलाकारों तथा स्वयं सहायता समूहों को बढ़ावा मिलेगा। प्रशासन की देखरेख में मेले में सामाजिक एकता और विभागों का समन्वय दिखाई देगा।
उद्घाटन के 20 से 25 दिन बाद ही मेले में आ पाती है रौनक
पुरानी परंपरा के मुताबिक मेला नौचंदी का उद्घाटन होली के बाद एक रविवार को छोड़कर दूसरे रविवार को किया जाता है। लेकिन मेले में दुकानें बुलंदशहर की नुमाइश खत्म होने के बाद आती हैं। इस मेले की खासियत है कि लगभग हर साल उद्घाटन के 20 से 25 दिन बाद ही मेले में रौनक आ पाती है। प्राचीन काल में जब सूचना के साधनों का अभाव था, तब मुनादी कराकर व डुगडुगी की मदद से मेले के आयोजन की जानकारी दी जाती थी। दूर-दूर तक जिलों और गांवों कस्बों में सूचना पहुंचाने में कई दिन का समय लगता था। लिहाजा कई दिन बाद मेले में भीड़ जुट पाती थी। इस बार भी माना जा रहा है कि मेले पर रंग लगभग 20 अप्रैल तक चढ़ेगा।
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