सार
कानपुर में फैक्ट्री में आग लगने के बाद 3 मजदूरों की मौत का मामला सामने आया। इस बीच वहां काम करने वाले लोगों ने बताया कि आग की लपटें इतनी भयावाह थी कि ज्यादातर लोगों ने पड़ोसी की छत पर कूदकर जान बचाई।
कानपुर: फजलगंज के गड़रियनपुरवा में स्थित साइकिल की गद्दी बनाने वाली एसके इंडस्ट्रीज में शुक्रवार को शॉर्ट सर्किट के बाद आग लग गई। यहां दम घुटने से तीन मजदूरों की मौत हो गई जबकि 3 लोग बेहोश हो गए। मामले की जानकारी मिलते ही मौके पर पहुंची दमकल की 8 गाड़ियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया। इस दौरान फैक्ट्री के प्रथम तल पर फंसे 5 कर्मचारियों ने पड़ोस की छत पर भागकर अपनी जान बचाई। बेहोश हुए दो कर्मचारियों के हैलेट के आईसीयू में भर्ती करवाया गया। इसमें से एक को डिस्चार्ज भी कर दिया गया है। फैक्ट्री में साइकिल की सीट औऱ पैडल बनाने का काम किया जाता है। जिस समय यह हादसा हुआ उस समय 9 कर्मचारी वहां काम कर रहे थे।
पड़ोसी की छत पर कूदकर बचाई जान
प्राप्त जानकारी के अनुसार ग्राउंडफ्लोर में शॉर्ट सर्किट के चलते आग लगी थी। यहां दम घुटने से शिवराजपुर के छतरपुर निवासी 24 वर्षीय प्रदीप कुमार, सचेंडी के कैथा निवासी 40 वर्षीय नारेंद्र सोनी, उन्नाव के बारासगवनर निवासी 50 वर्षीय जय प्रकाश परिहार की मौत हो गई। इस बीच शास्त्रीनगर के रहने वाले अमन, काकादेव कालोनी के निवासी गौरव और मनोज धुएं के चलते बेहोश होकर गिर गए और झुलस गए। आग की लपटे देख प्रथम तल पर मौजूद कर्मचारियों ने दूसरे की छत पर कूदकर जान बचाई।
शॉर्ट सर्किट के चलते लगी थी आग
सुबह तकरीबन साढ़े चार बजे इस घटना का जानकारी फायर कंट्रोल रूम और फैक्ट्री के मालिक को दी गई। इसके बाद 10 मिनट के अंदर दमकल का गाड़ी मौके पर पहुंची और आग में फंसे बेहोश हो चुके 3 मजदूरों को रेस्क्यू किया गया। इन सभी को हैलेट में भर्ती करवाया गया। यहां गौरव और अमन आईसीयू में भर्ती हुए। फायर ब्रिगेट की 8 गाड़ियों की मदद से 3 घंटे की मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। जिन तीन मजदूरों ने अग्निकांड में जान गंवाई वह हादसे के वक्त मशीन के पास ही सो रहे थे। इसके चलते ही उन्हें शॉर्ट सर्किट का पता न लग सका। वहीं रात में जाड़े की वजह से तीनों को आग की गर्माहट का अंदाजा भी न लगा। देखते ही देखते धुंआ पूरे फ्लोर पर फैला और जहरीले धुएं ने तीनों की जान ले ली।
साथी बोले- हमने आंखों के सामने उन्हें तड़पते हुए देखा
फैक्ट्री में काम करने वाले शैलेंद्र ने बताया कि आग लगने के बाद वहां सांस लेना तक मुश्किल हो गया था। हम सभी लोग अपनी-अपनी जान बचाकर भागने को मजबूर हो गए। किसी को भी उस दौरान सो रहे तीन साथियों का ख्याल ही नहीं आया। शैलेंद्र ने कहा कि थके होने के चलते तीन कर्मचारियों की आंख लग गई थी। वह कुछ पल ही सो पाए थे कि अचानक मोटर जाम होने के चलते आग लग गई। फैक्ट्री में चारों ओर प्लाटिक दाने, थिनर और कैमिकल की वजह से आग और भी भड़क गई। देखते ही देखते पूरी फैक्ट्री में धुआं और आग की लपटे फैल गई। ज्यादातर लोगों ने पड़ोस की छत पर भागकर जान बचाई। किसी को उस समय कुछ समझ ही नहीं आ रहा था। इसके बाद हमने आंखों के सामने उन्हें तड़पते हुए देखा।
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