सार

महिला वकील सहर नकवी की ओर से एक जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में मदरसों पर पाबंदी लगाने की मांग की गई है। कहा गया कि इन मदरसों में कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा है। इसी के साथ बच्चों के भविष्य़ के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। 

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से मदरसों में दी जाने वाली इस्लामिक शिक्षा पर सवाल उठाते हुए एक जनहित याचिका दाखिल की गई है। इस याचिका में मदरसों पर पाबंदी लगाने की मांग की गई है। आरोप लगाया गया है कि मदरसों में कट्टरता का पाठ पढ़ाकर बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है। धार्मिक शिक्षा के नाम पर बच्चों को गुमराह करने का भी आरोप लगाया गया है। कहा गया कि बच्चों के अंदर नफरत और कट्टरता फैलाई जा रही है। लिहाजा इन मदरसों पर पाबंदी लगनी चाहिए। 

धर्म विशेष की शिक्षा पर लगाई जाए रोक

याचिका के जरिए मांग की गई है कि मदरसों में धर्म विशेष की शिक्षा पर भी रोक लगाई जाए। इन बच्चों को यूपी के बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग में शामिल कर देना चाहिए। इसी के साथ मदरसे में उच्च संस्थानों को यूजीसी से संबंधित कर देना चाहिए। ऐसा इसलिए जिससे यहां दाखिला पाने वाले बच्चे बेहतर और रोजगारपरक शिक्षा हासिल कर सके। यही नहीं उन्हें ऐसी शिक्षा मिल सके जिससे उनके व्यक्तित्व का बेहतर निर्माण हो सके। उन्हें रोजगार पाने में सहूलियत रहे और उनके भीतर नफरत और कट्टरपंथी सोच न विकसित होने पाए। इसकी जगह उनमें सकारात्मक सोच पैदा हो और वह राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान दे सकें। 

बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ का आरोप

इस जनहित याचिका को इलाहाबाद की वकील सहर नकवी की ओर से दाखिल किया गया है। याचिका में कहा गया कि यूपी के ज्यादातर मदरसों में धार्मिक शिक्षा के नाम पर जो भी परोसा जा रहा है वह उनके भविष्य को खराब करने वाला है। लिहाजा हाईकोर्ट यूपी में संचालित हो रहे मदरसो पर पाबंदी लगाकर उन्हें पूरी तरह से बंद कर दे। इन मदरसों का विलय बेसिक और माध्यमिक शिक्षा विभाग में कर दिया जाए। यहां पढ़ने वाले बच्चों को सामान्य शिक्षा ही दी जानी चाहिए। 

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