सार

लखनऊ में पिटबुल ने महिला को नोचकर मौत के घाट उतार दिया। इसके बाद सवाल खड़े होने लगे हैं कि आखिर किन बातों का ध्यान रखा जाए जिससे पहले पालतू डॉग हैवान न बन जाए। पशु चिकित्सक भी कहते हैं हंटिंग डॉग्स को नहीं पालना चाहिए। 

लखनऊ: कैसरबाग के बंगाली टोला में बुजुर्ग महिला को एक पिटबुल ने नोच डाला। महिला के घर में पिटबुल 3 साल से तब से पल रहा था जब वह महज 11 माह का था। उसका नाम ब्राउनी रखा गया था और बुजुर्ग महिला रोज उसे अपने हाथों से ही खाना खिलाती थी। पड़ोसियों ने बताया कि पिटबुल बुजुर्ग महिला सुशीला पर पहले भी कई बार हमला कर चुका था। वह अक्सर फेरी वालों या सफाई कर्मियों पर भी हमलावर रहता था। लेकिन किसी ने इसकी शिकायत पुलिस से नहीं की। सुशीला के बेटे अमित ने बताया कि वह जिम में था तभी फोन आया कि मां पर ब्राउनी ने हमला कर दिया है। जिसके बाद वह घर पहुंचा और मां को लेकर अस्पताल गया, लेकिन डॉक्टरों ने मां को मृत घोषित कर दिया। हमले के बाद पिटबुल कमरे में शांत बैठ था और उसका साथी लेब्राडोर भी कमरे के एक कोने में बैठा हुआ था। 

खतरनाक होता है पिटबुल और रॉट वीलर को पालना 
पिटबुल बहुत ही खतरनाक, गुस्सैल और आक्रामक होते हैं। उसके खून में भी आक्रामकता होती है। हिंसात्मक होकर पिटबुल किसी को भी पकड़ लेते हैं तो छोड़ते नहीं है। जबकि रॉट वीलर के साथ थोड़ी भी गैर जिम्मेदारी बेहद खतरनाक और विनाशकारी होती है। इसे कई देशों में पालने पर भी प्रतिबंध है। 

हंटिंग डॉग्स से बचकर रहें लोग
पशु चिकित्सक टी एस यादव बताते हैं कि कुछ किचन डॉग होते है। कुछ पॉकेट डॉग और गार्ड डॉग है। जैसे जर्मन शेफर्ड गार्ड डॉग है यह आपके इशारे पर चलता है। कुछ पिटबुल, रॉड वीलर हंटिंग डॉग है। पिटबुल और रॉड वीलर को देखकर मालिक को भी काम करना चाहिए। अगर यह डॉग गुस्से में है तो मालिक को भी उन्हें अवॉइड करना चाहिए। यह अपने ट्रेनर के अलावा किसी को भी नहीं समझते।

दिखावे के चक्कर में लोग पाल लेते हैं ऐसे डॉग
पशु प्रेमी पी. के. पात्रा बताते हैं कि लोग आजकल दिखावे के चक्कर में इस तरह के आक्रामक डॉग पाल लेते हैं। शुरुआती समय में तो ये हंडिंग डॉग बहुत शांत रहते हैं लेकिन कुछ समय बाद यह आक्रामक होने लगते हैं। इसके बाद यह सिर्फ और सिर्फ ट्रेनर की सुनते हैं। गुस्सा आने पर यह जिस घर में रह रहे हैं उनके सदस्यों पर भी हमलावर हो जाते हैं। इस तरह के डॉग को पालन ही नहीं चाहिए। इससे अलावा आमतौर पर किसी भी पालतू पशु के हमले में ज्यादातर गलती इंसान की ही होती है। हम जाने-अनजाने में पशुओं को परेशान करते हैं जिससे वह आक्रामक होते हैं और हमला करते हैं। कैसरबाग की घटना में भी जिस तरह से हमले के बाद डॉग शांत होकर बैठ गया उसका कारण है कि यह बहुत ही सेंसेटिव होते हैं। हमला करने के बाद उसे यह अंदाजा हो जाता है कि उसने गलत किया। इसी के चलते वह शांत हो जाता है।

इन डॉग्स को पालना है बेहतर
लेब्राडोर सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली नस्लों में से है। इसे इसकी बुद्धिमानी के चलते पसंद किया जाता है। इसकी सूंघने की क्षमता की वजह से ही पुलिस और आर्मी भी इसका इस्तेमाल करते हैं। जबकि जर्मन शेफर्ड को लेब्राडोर के बाद दूसरी सबसे चहेती नस्ल माना जाता है। बीगल डॉग को बच्चों के अच्छे साथी के तौर पर जाना जाता है। यह बेहद चंचल और मनोरंजक होते हैं। वहीं पोमेरियन स्पिट्स नस्ल का है। छोटे आकार का यह डॉग बहादुर होता है। झबरीले बालों वाले पोमेरियन को काफी पसंद किया जाता है।

डॉग को पालने में इन चीजों का रखे ध्यान 
पालतू डॉग को बाहर टहलाते समय चोक चेन कॉलर का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर डॉगी किसी भी राहगीर की ओर लपकता है तो चेन को तेजी से खींचना चाहिए जिससे डॉगी का गला कस जाएगा और उसका ध्यान भटकेगा। कुछ लोग जो मजाक में डॉग को उकसाते हैं यह बिल्कुल भी न करें। इससे धीरे-धीरे डॉगी हिंसात्मक होने लगता है। डॉगी को गलत हरकत पर मारे नहीं बल्कि डांटकर शांत करवाएं। 

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