सार

लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे जोड़ों को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। बता दें कि हाईकोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप को कानूनी मान्यता दी है। कोर्ट ने कहा कि बालिगों को अपना जीवनसाथी चुनने और उसके साथ रहने का अधिकार है।

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप पर अहम फैसला सुनाया है। बता दें कि आज यानि की शनिवार इलाहाबाद हाइकोर्ट ने लिव इन रिलेशनशिप पर वैधता की मुहर लगा दी। कोर्ट ने कहा कि किसी कानूनी अधिकार के तहत किसी भी व्यक्ति की स्वतंत्रता को नहीं छीना जा सकता है। कोर्ट के अनुसार, बालिग जोड़े को अपनी मर्जी से एक साथ रहने का संवैधानिक अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि बालिग लोगों को अपनी पसंद का जीवनसाथी चुनने और उसके साथ रहने का अधिकार है। उन्हें इस अधिकार से वंचित नहीं किया सकता है।

बालिग जोड़े ने कोर्ट में दिया था हलफनामा
बता दें कि जौनपुर से जुड़े एक मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति सुनीत कुमार और न्यायमूर्ति सैयद वैज मियां की खंडपीठ ने ये फैसला सुनाया है। लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े के खिलाफ बलिया के नरही थाने में दर्ज एफआईआर को भी कोर्ट ने रद्द कर दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, जौनपुर में एक लड़की गायब हो गई थी। जिसके बाद उसके पिता ने थाने में अपहरण का केस दर्ज करवाया था। वहीं लड़की जिसके साथ रह रही थी। उन दोनों ने मिलकर कोर्ट में हलफनामा दिया था। जिसमें यह जानकारी दी गई थी कि दोनों बालिग हैं और अपनी मर्जी से एक-दूसरे के साथ रह रहे हैं।

लिव-इन-रिलेशनशिप को बताया जायज
इसी मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यह टिप्पणी की है। लिव इन रिलेशनशिप ने रह रही युवती के पक्ष में हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। साथ ही कोर्ट ने लिव-इन-रिलेशनशिप को जायज करार दिया है। कोर्ट ने कहा कि बालिग यदि अपनी मर्जी से किसी के साथ रह रहे हैं तो किसी प्राधिकारी या व्यक्ति को उसमें हस्तक्षेप करने का अधिकार नहीं है। याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि सरकार का दायित्व है कि वह लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे जोड़े को अधिकार की सुरक्षा प्रदान की जाए।

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