सार

आजम खां की जमानत के यह आदेश इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की एकल पीठ की ओर से दिए गए हैं। आजम खां के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (2) में चार्जशीट दाखिल हुई है। कोर्ट ने आजम खां को सरकारी जमीन हड़पने के मामले में जमानत दे दी है। लेकिन जमानत मिलने के बाद भी वह सीतापुर जेल में ही बंद रहेंगे। 

लखनऊ: यूपी चुनाव की वोटिंग खत्म होने के साथ ही पूर्व मंत्री और सपा सांसद आजम खां को राहत मिलती दिख रही है। लखनऊ में उनके खिलाफ दर्ज एक मामले में मंगलवार को उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिल गई। हालांकि अभी वह जेल में ही रहेंगे। उनके खिलाफ दो अन्य मामलों में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा हुआ है। 

यह निर्देश इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच के न्यायमूर्ति रमेश सिन्हा की एकल पीठ की ओर से दिए गए हैं। आजम खां के खिलाफ आईपीसी की धारा 505 (2) में चार्जशीट दाखिल हुई है। कोर्ट ने आजम खां को सरकारी जमीन हड़पने के मामले में जमानत दे दी है। लेकिन जमानत मिलने के बाद भी वह सीतापुर जेल में ही बंद रहेंगे। 

ज्ञात हो कि आजम खां अभी दो सालों से सीतापुर जेल में ही बंद हैं। उनके खिलाफ 87 आपराधिक केस दर्ज हैं। इसमें 84 एफआईआर यूपी में 2017 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद दर्ज हुई हैं। आजम खां को सरकारी मुहर और लेटरपैड का गलत इस्तेमाल करने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच से जमानत मिली है। हालांकि अन्य मामलों की वजह से वह अभी जेल में ही रहेंगे। 

चुनाव में खूब उछला था आजम का नाम 
यूपी चुनाव के दौरान आजम को टिकट दिए जाने का माला खूब सुर्खियों में रहा। यही नहीं बीजेपी के नेताओं ने भी सभाओं से जमकर उनपर निशाना साधा। आरोप लगाया गया था कि सपा के सत्ता में आने पर आजम खां और अन्य बाहुबली जेल के बाहर आ आएंगे। बीजेपी के नेताओं की ओर से यह भी कहते सुना गया था कि अगर जनता चाहती है कि यह माफिया यूं ही जेल में रहें तो भाजपा को वोट देकर जिताना होगा। इसी के साथ अखिलेश यादव पर भी उस दौरान इनका साथ देने को लेकर हमला बोला जाता था। 

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