मोदी 3.0 के पहले बजट में वित्त मंत्री ने स्टैंडर्ड डिडक्शन और टैक्स स्लैब बढ़ाकर जहां राहत दी, वहीं लांग टर्म और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स बढ़ाकर पैसा खींच लिया है।
जो निवेशक स्टॉक मार्केट में निवेश करते हैं, उन्हें शेयर को एक साल तक के लिए रखने पर अभी 10% लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स देना पड़ता था।
हालांकि, बजट में वित्त मंत्री ने लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स को 10 से बढ़ाकर 12.5% कर दिया है। यानी अब एक साल के बाद शेयर बेचने पर ज्यादा टैक्स चुकाना होगा।
इसी तरह, वित्त मंत्री ने शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स को भी 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20% कर दिया है। यानी कम समय के लिए शेयर रखने पर भी पहले से ज्यादा टैक्स चुकाना होगा।
TAX एक्सपर्ट्स का कहना है कि न्यू टैक्स रिजीम के स्लैब में बदलाव और स्टैंडर्ड डिडक्शन लिमिट में 25000 बढ़ाने से सरकार पर करीब 37500 करोड़ का बोझ बढ़ेगा।
हालांकि, सरकार लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स में बढ़ोतरी कर इसी सिस्टम से करीब 30 हजार करोड़ वसूल कर लेगी।
बजट में लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स में इजाफे के चलते ही शेयर बाजार में भारी गिरावट आई। हालांकि, बाद में ये काफी हद तक रिकवर हुआ।