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BUDGET 2024 : 20 सिंपल शब्दों में आसानी से समझें बजट

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1. इंफ्लेशन रेट (Inflation Rate)

बजट में इंफ्लेशन यानी महंगाई का बार-बार जिक्र होता है। महंगाई दर बढ़ने का मतलब करेंसी की वैल्यू गिर रही है, जिससे खरीदने की क्षमता कम होगी, मतलब मांग में कमी आ जाती है।

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2. फिस्कल पॉलिसी (Fiscal Policy)

सरकार किस तरह खर्च करेगी और टैक्स सिस्टम क्या होगा, इसके ब्लू प्रिंट को फिस्कल पॉलिसी कहते हैं। इसके तहत सरकार महंगाई दर, बेरोजगारी दर और मौद्रिक नीति के फैसले करती है।

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3. फिस्कल डेफिसिट (Fiscal Deficit)

अगर सरकार के खर्चे सरकार की कमाई से ज्यादा हो जाते हैं तो उसे फिस्कल डेफिसिट यानी राजकोषीय घाटा कहते हैं।

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4. फिस्कल सरप्लस (Fiscal Surplus)

जब सरकार की कमाई उसके खर्चों से ज्यादा हो जाती है तो उसे फिस्कल सरप्लस कहते हैं। हालांकि, ऐसी स्थिति आती नहीं है। सरकार के सामने चुनौती रहती है कि वह फिस्कल डेफिसिट कैसे कम रखे।

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5. रेवेन्यू डेफिसिट (Revenue Deficit)

सरकार हर साल की कमाई का लक्ष्य तय करती है। अगर कमाई उम्मीद से कम होती है तो इसे रेवेन्यू डेफिसिट कहते हैं। इसका मतलब सरकार ने वित्त वर्ष में ज्यादा तेजी से खर्च किया है।

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6. प्राइमरी डेफिसिट (Primary Deficit)

फिस्कल डेफिसिट में पहले लिए गए कर्ज पर इंट्रेस्ट पेमेंट्स घटाने पर प्राइमरी डेफिसिट आता है। प्राइमरी डेफिसिट में पुराने कर्ज पर चुकाने वाले ब्याज को नहीं जोड़ा जाता है।

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7. डिस- इंवेस्टमेंट (Disinvestment)

जब सरकार अपनी संपत्ति बेचकर पैसे जुटाती है तो इसे डिस-इन्वेस्टमेंट कहते हैं। ऐसे में सरकार कई कंपनियों में हिस्सेदारी उसका आईपीओ लाकर भी बेचने का काम करती है।

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8. करंट अकाउंट डेफिसिट (Current Account Deficit)

जब देश में गुड्स और सर्विस की इंपोर्ट वैल्यू एक्सपोर्ट्स की तुलना में बढ़ जाती है तो उसे करंट अकाउंट डेफिसिट कहते हैं। करंट अकाउंट डेफिसिट बढ़ने से करेंसी की वैल्यू कम होती है।

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9. ट्रेड डेफिसिट (Trade Deficit)

ट्रेड डेफिसिट करंट अकाउंट डेफिसिट का बड़ा हिस्सा होता है। इसके बढ़ने का मतलब देश ज्यादा खरीद और कम बेच रहा है। जब निर्यात की तुलना में आयात बढ़ता है तो इसे ट्रेड डेफिसिट कहते हैं।

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10. डायरेक्ट टैक्स (Direct Tax)

किसी व्यक्ति या संस्थान की आय पर लगने वाले टैक्स को डायरेक्ट टैक्स करते हैं। इनमें इनकम टैक्स, कॉर्पोरेट टैक्स और इनहेरिटेंस टैक्स शामिल हैं।

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11. इनडायरेक्ट टैक्स (Indirect Tax)

ऐसा टैक्स जो उपभोक्ता को सीधे नहीं बल्कि सामानों और सेवाओं के लिए देना पड़ता है, उसे इन-डायरेक्ट यानी अप्रत्यक्ष कर कहते हैं। कस्टम ड्यूटी, एक्साइज ड्यूटी, GST इसी में आता है।

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12. मॉनिटरी पॉलिसी (Monetary Policy)

मॉनिटरी पॉलिसी यानी मौद्रिक नीति से रिजर्व बैंक अर्थव्यवस्था में पैसे की आपूर्ति नियंत्रित करता है। इनमें महंगाई कंट्रोल, कीमतों में स्थिरता लाई जाती है। इसके कई मकसद हैं।

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13. नेशनल डेब्ट (National Debt)

नेशनल डेब्ट यानी राष्ट्रीय कर्ज केंद्र सरकार के राजकोष में शामिल कुल कर्ज को कहते हैं। बजट घाटों को पूरा करने के लिए सरकार ऐसे कर्ज लिया करती है।

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14. गवर्नमेंट बॉरोइंग (Government Borrowing)

ऐसा पैसा जिसे सरकार सार्वजनिक सेवाओं पर होने वाले खर्च को फंड करने के लिए उधार लेती है, गवर्नमेंट बॉरोइंग यानी सरकारी कर्ज कहलाती है।

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15. ऑफ बजट बॉरोइंग (Off Budget Borrowing)

ऐसा कर्ज जिसे सरकार खुद नहीं लेती बल्कि सरकार के निर्देश पर किसी सरकारी काम या प्रोजेक्ट के लिए ही लिया जाता है, उसे ऑफ बजट बॉरोइंग यानी ऑफ बजट उधार कहा जाता है।

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16. इन्फ्लेशन (Inflation)

कुछ समय के लिए जब अर्थव्यवस्था में सामानों और सेवाओं की कीमतों के दाम बढ़ जाते हैं, तो उसे इंफ्लेशन यानी महंगाई कहते हैं। भारत में WPI और CPI के जरिए महंगाई मापी जाती है।

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17. इनकम टैक्स (Income Tax)

सैलरी, निवेश, ब्याज से होने वाली इनकम अलग-अलग स्लैब के तहत टैक्सेबल मानी जाती है। इनकम पर लगने वाले इन टैक्स को इनकम टैक्स कहते हैं। इनकम टैक्स यानी आयकर में कई टर्म होते हैं।

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18. ग्रॉस इनकम (Gross Income)

कंपनी अपने कर्मचारियों को ग्रॉस सैलरी देती है, जिसमें बेसिक सैलरी, HRA, ट्रैवल अलाउंस, डीए, स्पेशल अलाउंस, अन्य अलाउंस, लीव इनकैशमेंट होता है।ग्रॉस इनकम फॉर्म-16 में लिखा होता है।

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19. नेट इनकम (Net Income)

ग्रॉस सैलरी में से लीव ट्रैवल अलाउंस, हाउस रेंट अलाउंस, अर्न्ड लीव इनकैशमेंट जैसे तमाम अलाउंस घटना के बाद बची सैलरी नेट इनकम होती है।

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20. टैक्सेबल इनकम (Taxable Income)

ऐसी इनकम जिस पर टैक्स चुकाना होता है, टैक्सेबल इनकम होती है। यानी इस आय पर आपको टैक्स देना पड़ता है। यह कई स्लैब में होती है।

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