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समय के साथ बदलता गया बजट पेश करने का तरीका, जानें क्या हुए बदलाव

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पहले अंग्रेजी में पढ़ा जाता था बजट

स्वतंत्र भारत में पहले बजट को अंग्रेजी में पेश करने की परंपरा थी। भारत के तीसरे वित्त मंत्री चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख ने बजट को हिन्दी में ट्रांसलेट कर पेश किया था।

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रात की जगह दिन में पेश किया जाने लगा बजट

पहले बजट रात में पेश किया जाता था लेकिन 1999 में अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने इसमें बदलाव करते हुए दिन में पेश करना शुरू कराया।

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रेल बजट अलग पेश करने की प्रथा खत्म की

पहले रेल बजट को आम बजट से अलग पेश किया जाता था। 2017 में मोदी सरकार ने रेल बजट को आम बजट में शामिल कर दिया और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 92 साल पुरानी प्रथा का अंत कर दिया।

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ब्रीफकेस आउट, लाल बहीखाता इन

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2019 में मोदी सरकार में आम बजट के लिए ब्रीफकेस को आउट कर उसे लाल रंग के बहीखाता के रूप में पेश किया। 

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बहीखाता भी गायब अब डिजिटली बजट पेश

डिजिटल युग में अब लाल बहीखाता भी गायब हो गया है। अब बजट पूरी तरह से डिजिटली टैबलेट और IPad के जरिए पढ़ा जा रहा। 

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बजट को पूरी तरह से पेपर लेस कर दिया गया

डिजिटल युग में हर काम कंप्यूटर से होता है। ऐसे बजट को भी पूरी तरह से पेपर लेस कर दिया गया है।

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