पॉलिसी बाजार की जानकारी के मुताबिक, देश में 45 साल से कम उम्र के करीब 17% लोग अनकंट्रोल डायबिटीज की वजह से हेल्थ इंश्योरेंस नहीं ले पाते हैं।
इंश्योरेंस कंपनियां अनियंत्रित डायबिटीज में इंश्योरेंस देने से बचती हैं क्योंकि उन्हें ज्यादा हेल्थ प्रॉब्लम हो सकती हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इंश्योरेंस लेने से पहले अगर कोई बीमारी थी और उसे कंपनी को आपने नहीं बताया तो उस समस्या से जुड़ा कोई भी क्लेम पेमेंट करने से कंपनी मना कर सकती है।
इंश्योरेंस कंपनियां इंसुलिन पर रहने वाले डायबिटीज मरीजों को बीमा देने से इनकार कर देती हैं। हालांकि, डायबिटीज के लिए बनाए कुछ प्लान में इंसुलिन वाले मरीज भी कवर होते हैं।
ज्यादातर हेल्थ इंश्योरेंस देने वाली कंपनियां टाइप 1 डायबिटीज कवर नहीं करती हैं। कुछ खास डायबिटीज प्लान में टाइप 1, टाइप 2 शामिल हो सकता है।
अगर कोई कम उम्र में डायबिटीज का शिकार हो जाता है तो इंश्योरेंस देने वाली कंपनियां उसका हेल्थ बीमा रिजेक्ट कर सकती हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, अगर डायबिटीज है तो दो तरह के इंश्योरेंस प्लान चुन सकते हैं। रेगुलर प्लान- इसमें काफी कुछ शामिल होता है। डायबिटीज प्लान- यह एक स्पेशल प्लान है।
इस प्लान में आमतौर पर डॉक्टर को जाकर दिखाना, टेस्ट करवाना, दवाई, इंसुलिन, शुगर की जांच और जरूरी मेडिकल सामग्री जैसी कई महत्वपूर्ण चीजें शामिल होती हैं।
नियमों को ध्यान से पढ़ें। क्या-क्या कवर होगा, कितना खर्च कवर होगा, हेल्थ प्रोवाइडर नेटवर्क, क्लेम सैटेलमेंट, पेआउट रेशियो, एक्स्ट्रा बेनिफिट्स समझें।