सूर्य अन्य तारों के तुलना में पृथ्वी के काफी करीब है। शुरू से ही वैज्ञानिक इसके अध्ययन में जुटे हैं। पृथ्वी पर जीवन के लिए सूर्य की रोशनी का गहरा है।
सूर्य एक तारा है। पृथ्वी के पास होने से इसका विशेष महत्व और प्रभाव है। यह सौरमंडल के केंद्र में स्थित है। इसकी किरणें सौरमंडल में दूर-दूर तक जाती है।
सूर्य में प्रकाश विकिरण, पराबैंगनी विकिरण, विद्युतीय आवेषित महीन कण के विकिरण, रेडियो तरंगों के साथ कई तरंगे हैं। सूर्य के बारें में जानना सामान्य अवस्था में संभव नहीं है।
पृथ्वी से सूर्य का अध्ययन कर पाना कठिन है। सूर्य के जितने करीब टेलीस्कोप ले जाएंगे उतनी ही ज्यादा जानकारी मिलेगी। इसलिए वेधशाला सूर्य के ज्यादा पास होना बेहतर हो सकता है।
सूर्य के पास जाने से अंतरिक्ष यान जल सकते हैं। यह भी हो सकता है कि हमारा यान सूर्य के पावरफुल गुरुत्व के प्रभाव में आकर जल जाए या उसी में समा जाए।
किसी यान को सूर्य के प्रभाव से बचाने बहुत ज्यादा ईंधन की जरूरत होगी। मंगल पर जाने के लिए जरूरी ऊर्जा से 55 गुना ज्यादा ऊर्जा होनी चाहिए। अभी इंसान तकनीकी तौर पर तैयार नहीं है।
सूर्य और पृथ्वी के बीच लैगरेंज 1 पॉइंट होने से आदित्य एल1 पृथ्वी के प्रभाव से मुक्त वेधशाला होगी। यहां दिन और रात का चक्कर ही नहीं होगा।
इस पॉइंट पर आदित्य एल 1 को सूर्य की जानकारी हासिल करने में सूर्य ग्रहण भी बाधा नहीं डाल पाएगा। यहां से हर समय सूरज पर निगरानी रखी जा सकती है।