कार इंश्योरेंस क्लेम में देरी नहीं करनी चाहिए। ज्यादातर पॉलिसी में स्पष्ट होता है कि हादसे के बाद तुरंत क्लेम जरूरी है। तय समय से ज्यादा टाइम लगाने से क्लेम रिजेक्ट हो सकता है
अगर कार इंश्योरेंस का क्लेम सही समय पर करते हैं तो पैसा टाइम से आ जाता है और प्रॉसेस भी जल्दी ही पूरी हो जाती है।
कई क्लेम सिर्फ इसलिए रिजेक्ट हो जाते हैं कि उसमें गलत या आधी-अधूरी जानकारी भरी होती है। एक्सीडेंट की सही जानकारी, नुकसान और बीमा होल्डर की पर्सनल डिटेल्स सही होनी चाहिए।
कार इंश्योरेंस का क्लेम करते समय पूरी तरह एक्यूरेसी रखें। इससे क्लेम मंजूर होने की संभावना काफी ज्यादा बढ़ जाती है, दिक्कत भी नहीं आती है।
बीमा कंपनियां अपनी पॉलिसी में साफ जिक्र करती हैं कि शराब या किसी नशे में गाड़ी चलाने पर अगर हादसा होता है तो उसका क्लेम नहीं मिलेगा। नशे में गाड़ी चलाने पर जुर्माना भी लग सकता है
आजकल ज्यादातर लोग अपनी कार का मॉडिफिकेशन करवाकर उसे स्टाइलिश लुक देते हैं। बीमा कंपनियां कहती हैं कि बिना इसकी सूचना के क्लेम रिजेक्ट हो सकता है।
बीमा कंपनियों का मानना है कि कार कंपनी अपनी तरफ से स्टैंडर्ड वाहन बनाती है, ऐसे में मॉडिफिकेशन खतरा पैदा कर सकता है, जो हादसे का कारण भी बन सकता है।
कई कार इंश्योरेंस क्लेम सिर्फ इसलिए रिजेक्ट हो जाते हैं, क्योंकि गाड़ी का गलत इस्तेमाल होता है, जैसे पर्सनल कार का इस्तेमाल कॉमर्शियल में यूज करना, इससे क्लेम रिजेक्ट हो जाएगा।