Business News
दुनिया में कई तरह की बीमारियां और उनकी दवाएं हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वर्ल्ड की सबसे महंगी दवा कौन-सी है और इसकी कीमत आखिर कितनी होगी?
दुनिया की सबसे महंगी दवाई जोलजेंस्मा (Zolgensma) नामक इंजेक्शन है। ये इंजेक्शन स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी टाइप-1 (Spinal Muscular Atrophy) नाम की दुर्लभ बीमारी में दिया जाता है।
Zolgensma नाम के इस इंजेक्शन के एक डोज की कीमत करीब 17 करोड़ रुपए है। यानी इस दवाई के एक डोज में 5 लाख रुपए की कीमत वाली करीब 340 कारें खरीदी जा सकती हैं।
Zolgensma लाइफसेविंग दवा है, जो दुर्लभ आनुवंशिक बीमारी से जूझ रहे बच्चों के इलाज में देते हैं। इसे बच्चों के स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के उपचार में दिया जाता है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी एक दुर्लभ आनुवांशिक रोग है, जिसमें पैरालैसिस और मांसपेशियों की कमजोरी की वजह से पैदा हुए बच्चे ज्यादा दिनों तक जिंदा नहीं रह पाते।
Zolgensma के इतना महंगा होने की सबसे बड़ी वजह ये है कि ये एक प्रिसिजन मेडिसिन है, जो जो यूनिक जेनेटिक कोड के कारण होने वाली विशिष्ट समस्याओं को टारगेट करती है।
इसको बनाने की प्रॉसेस और लागत दोनों काफी ज्यादा हैं। इसके साथ ही इसे बनाने के लिए दुनिया में पर्याप्त कच्चा माल और संसाधन भी बेहद कम हैं। यही वजह है कि Zolgensma इतनी महंगी है।
Zolgensma को स्विट्जरलैंड की कंपनी Novartis के अलावा बायोजेन और रॉश बनाती हैं। इस दवा को सिर्फ 45 देशों में मंजूरी मिली है और अब तक दुनियाभर में 2,500 मरीजों का इलाज किया गया है।
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी से जूझ रहे 15 साल के एक बच्चे के इलाज के लिए PM मोदी से मदद मांगी है। यही वजह है कि ये दवा एक बार फिर चर्चा में है।
बता दें कि मुंबई की एक बच्ची तीरा कामथ और छत्तीसगढ़ में बिलासपुर की सृष्टि को Zolgensma की डोज दी जा चुकी है। PMO के कहने पर दुनिया की सबसे महंगी दवा का इंतजाम किया गया था।