यूएस और ओपेक की ओर से डिमांड से अधिक सप्लाई के चलते मिडिल ईस्ट से लेकर अमेरिका तक कच्चे तेल की कीमत में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है।
डॉलर इंडेक्स में बढ़ोतरी के चलते कच्चे तेल की कीमतों पर दबाव बढ़ा है। जिससे क्रूड ऑयल के दाम में गिरावट हुई है। इससे अब भारत में पेट्रोल-डीजल के दाम कम होने की संभावना बढ़ी है।
बुधवार को कच्चे तेल के दाम क्रैश हुए हैं। आंकड़ों के अनुसार, ब्रेंट क्रूड ऑयल की कीमतें करीब 5% तक कम होकर 81.38 डॉलर और WTI के दाम 5% तक गिरकर 77 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हैं।
इजराइल-हमास वॉर के बाद मंगलवार को इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल के दाम पहली बार 84 डॉलर प्रति बैरल से नीचे बंद हुए। मौजूदा समय कच्चे तेल की कीमत करीब 4 माह के निचले स्तर पर है।
कच्चे तेल के दाम आने वाले दिनों में 80 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ सकते हैं। इसका प्रमुख कारण डिमांड और महंगाई है। अमेरिकी रिजर्व में भी लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है।
जानकारों का मानना है कि इंटरनेशनल मार्केट में जिस तरह के संकेत मिल रहे हैं, उससे कच्चे तेल की कीमतें आने वाले दिनों में कम होंगी और भारत में पेट्रोल-डीजल के रेट भी कम होंगे।
एक्सपर्ट के मुताबिक, भारत में पेट्रोल-डीजल 5-7 रुपए सस्ता हो सकता है। पेट्रोलियम कंपनियों का पिछले साल का नुकसान पूरा हो चुका है और वे मुनाफे में हैं, ऐसे में जनता का दबाव बढ़ रहा।
भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में आखिरी बार बदलाव 21 मई को तब हुआ था जब वित्त मंत्री ने टैक्स कम किया था। उसके बाद कुछ राज्यों ने वैट कम या बढ़ाकर तेल की कीमतें प्रभावित की थी।