EPFO की 10 साल की सदस्यता और 58 साल की उम्र पूरी होने पर इसका लाभ उठा सकते हैं। अगर 58 साल के बाद आपकी सर्विस रद्द भी कर दी जाती है तो अगले दन से पेंशन मिलनी शुरू हो जाएगी।
अगर कोई 10 साल की सदस्यता के बाद नौकरी छोड़ देता है तो 50 साल की उम्र बाद पूर्व पेंशन ले सकता है। इसमें 58 की उम्र पूरी होने में बचे साल में सालाना 4 फीसदी कम करके पेंशन मिलती है।
ईपीएफओ सदस्य को अगर विकलांगता की वजह से नौकरी छोड़नी पड़ रही है तो उसे यह पेंशन मिलती है। इसके लिए न्यूनतम सदस्यता की सीमा नहीं है। सिर्फ 1 महीने का पीएफ कटना अनिवार्य है।
ईपीएफओ के पेंशन सदस्य ने किसी को नामांकित किया है तो उसे भी पेंशन मिलता है लेकिन ऐसा तभी संभव है, जब सदस्य की फैमिली में कोई भी जिंदा न हो। मतलब पत्नी और बच्चे।
अगर EPFO मेंबर्स की शादी नहीं हुई है और उसकी मौत हो जाती है, उसने किसी सदस्य को नॉमिनी नहीं बनाया है तो उसके पिता को पेंशन दी जाती है, पिता के न रहने पर माता को पेंशन मिलती है।
ईपीएस 1995 के तहत अगर ईपीएफओ के किसी सदस्य की मौत हो जाती है और उसकी पत्नी भी जिंदा नहीं है तो 25 साल की उम्र तक 2 बच्चों को पेंशन दी जाती है।
अगर EPFO के किसी पेंशन सदस्य की मौत हो जाती है तो उसकी पत्नी और 2 बच्चों को पेंशन दी जाती है। बच्चों की उम्र 25 साल होने तक पेंशन मिलती है। इसके लिए भी एक महीने का अंशदान काफी है।
अगर EPFO सदस्य के दो से ज्यादा बच्चे हैं तो उसकी मौत के बाद पत्नी और दो बच्चे को पेंशन मिलती है। बड़े बेटे की उम्र 25 साल होने पर उसकी पेंशन रोक तीसरे बच्चे को शामिल किया जाता है।
अगर ईपीएफओ सदस्य का कोई बच्चा विकलांग है और उस सदस्य की मौत हो जाती है तो उस बच्चे को पूरी लाइफ पेंशन की सुविधा मिलती है।
EPFO पेंशन स्कीम के तहत सदस्य की मौत के बाद सिर्फ 6 लोग ही उस पेंशन का लाभ पा सकते हैं। इनमें पत्नी, दो बच्चे, माता-पिता या कोई नामांकित सदस्य शामिल हैं।