बीजेपी सांसद मेनका गांधी का आरोप है कि इस्कॉन गायों को कसाइयों को बेचती है। पहले भी शंकराचार्य स्वरूपानंद संस्था पर धोखाधड़ी का आरोप लगा चुके हैं। इस्कॉन ने आरोप नकारा है।
इस्कॉन मंदिर की स्थापना श्रीमूर्ति अभयचरणारविन्द भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद ने 1966 में न्यूयॉर्क में की। 55 साल में संन्यास लेकर दुनिया में 'हरे रामा हरे कृष्णा' का प्रचार किया।
इस्कॉन मंदिर दुनियाभर में है। इसका हेडक्वार्टर अमेरिका की न्यूयॉर्क सिटी में है। स्वामी प्रभुपाद ने दुनियाभर में भगवान कृष्ण के संदेश पहुंचाने इस्कॉन की स्थापना की थी।
आंकड़ों की माने तो दुनियाभर में इस्कॉन के 1,000 से ज्यादा केंद्र हैं। भारत में ही इसके 400 केंद्र हैं। यहां तक की पाकिस्तान में भी ISKCON के 12 मंदिर हैं।
धर्म गुरु बनने से पहले भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद आयुर्वेदिक दवाईयां बनाया करते थे। अक्सर झांसी के आयुर्वेदिक कॉलेज जाया करते थे। यहां उनके दो अनुयायी बनें।
स्वामी प्रभुपाद झांसी के आंतियां तालाब के सामने बने राधा बाई स्मारक पर कृष्ण भक्ति की संस्था बनाना चाहते हैं। इसका नाम उन्होंने इस्कॉन यानी 'भक्तों का संघ' रखा।
स्वामी प्रभुपाद ने उस समय अखबारों में विज्ञापन दिया- दुनियाभर में भगवद् गीता का संदेश फैलाने शिक्षित युवाओं की जरूरत है। उनकी यात्रा, भोजन, कपड़ों का खर्च संस्था उठाएगी।
स्वामी प्रभुपाद ने 1957 में झांसी में इस्कॉन की स्थापना करने वाले थे लेकिन अनुयायियों और नेताओं ने संस्था की जमीन हड़प ली। इसके बाद वो वृंदावन चले गए और वहां 16 साल तक रहें।
वृंदावन के बाद स्वामी प्रभुपाद अमेरिका चले गए। न्यूयॉर्क में 13 जुलाई 1966 को इस्कॉन की स्थापना की। समाज से बहिष्कृत अमेरिकी हिप्पियों को इससे जोड़ा, भगवद् गीता का अर्थ समझाया।