डेटा और सर्वे के मुताबिक, बिना लिस्ट राशन का सामान खरीदने वाले लोग जरूरत से दोगुना खर्च करते हैं। लिस्ट होने से सिर्फ जरूरत की चीज खरीदते हैं और कुछ भी नहीं भूलते हैं।
बच्चों को कहीं भी घुमाएं लेकिन सुपरमार्केट न ले जाएं। ऐसी जगहों पर बच्चों को अट्रैक्ट करने हाई मार्जिन सामान कम हाइट पर रखें जाते हैं। बच्चों की जिद आपका बजट बिगाड़ सकते हैं।
2-4 सामान के लिए कभी भी बड़े कार्ट की बजाय छोटे बास्केट लें। ह्यूमन साइकोलॉजी है कि बड़ा कार्ट होने से गैरजरूरी सामान भी खरीद लेते हैं। जबकि छोटी बास्केट में कम शॉपिंग होती है।
हेल्दी फूड्स जैसे हेल्थ सप्लीमेंट, मूसली, एवाकाडो, प्रोटीन काफी महंगे होते हैं। ये फैंसी की लिस्ट में आते हैं। इनकी बजाय मूंगफली, चने, केले जैसे अच्छे और सस्ते ऑप्शन चुनें।
सुपरमार्केट में 10 रुपए वाला वॉशिंग पाउडर, 20 रुपए वाला टूथपेस्ट, 100 ग्राम वाली चाय पत्ती नहीं मिलती है, क्योंकि बड़े पैकेट पर ज्यादा मार्जिन से वही रखे जाते हैं। समझदारी दिखाएं।
ह्यूमन साइकोलॉजी है कि खाली पेट ग्रॉसरी खरीदने जाने पर लोग ज्यादा फूड आइटम खरीद लेते हैं। भूखे रहने पर हो सकता है ज्यादा जंक फूड्स ही खरीद लें। इससे बचें।
कई बार सुपरमार्केट के ऑफर्स के चक्कर में हम फंस जाते हैं। एक पर एक फ्री वाले ऑफर्स काफी महंगे और बजट बढ़ाने वाले हो सकते हैं। ऑफर्स जरूरत की सामान पर ही अच्छे होते हैं।
एक ही स्टोर से सामान खरीदने से समय भले ही बचता है लेकिन रेट बढ़ सकता है। कुछ सामान सुपर-मार्केट में सही रेट पर मिलते हैं और कुछ छोटे-छोटे दुकानों पर। इसलिए कंपेयर कर शॉपिंग करें।
कई बार छोटा-मोटा सामान खरीदने के लिए लोग ऑनलाइन ग्रॉसरी ऐप का यूज करते हैं, जैसे- दूध-ब्रेड। इन ऐप पर फ्री डिलीवरी पाने के लिए मिनिमम ऑर्डर वैल्यू लगा होता है।
राशन का सामान खरीदने के बाद बिल को जरूर चेक करें। जैसे प्रोडक्ट के रेट सही लगे हैं या नहीं, बिल में कोई प्रोडक्ट एक्स्ट्रा तो नहीं जुड़ गया है। सही डिस्काउंट मिला है या नहीं।