पूरी दुनिया में सभी व्यवस्थाएं करेंसी के जरिए ही ऑपरेट होती हैं। भारत में इसकी शुरुआत शेरशाह सूरी ने 1540 से 1545 के बीच की थी। उन्होंने सबसे पहले चांदी का सिक्का जारी किया था।
18वीं सदी में पश्चिम बंगाल में Bank of Hindustan, General Bank और Bengal Bank ने पेपर करेंसी शुरु की थी।
reserve Bank of India ने साल 1938 में george VI के चित्र वाला पहला पांच रुपये का नोट जारी किया था।
देश में आजादी के बाद, 15 अगस्त, 1950 को सरकार ने 'अन्ना सीरीज़' जारी की थी। ये भारत गणराज्य की पहली ऑफीशियल मुद्रा थी।
साल 2010 के बाद, रुपैया के लिए प्रतीक '₹' को मंजूरी दी गई । ये प्रतीक देवनागरी के व्यंजन 'र' और बड़े अक्षर 'R' से लिया गया है ।
भारतीय नोटों पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ के अलावा महात्मा गांधी का वॉटर मार्क होता है। ये भारत सांस्कृतिक और ऐतिहासिक महत्व को बताता है।
भारत में RBI को मुद्रा जारी करने, उसमें बदलाव करने, या वापस लेने का अधिकार है । भारतीय रिजर्व बैंक ये फिक्स करता है कि देश में करेंसी का फ्लो और उपलब्धता में सामंजस्य बना रहे ।
भारत में ₹1, ₹2, ₹5, ₹10, ₹20, ₹50, ₹100, ₹200, ₹500 और के नोट, सिक्के जारी किए गए हैं, जिनके जरिए कारोबार होता है। हालांकि अब ज्यादातर लेनदेन डिजीटल ट्रांजेक्शन के जरिए होता है।
भारतीय मुद्रा में कई सेफ्टी फीचर स्पेशल पेपर, वॉटरमार्क, इंटाग्लियो प्रिंटिंग, माइक्रोप्रिंटिंग, सिक्योरिटी थ्रेड के अलावा कलर-शिफ्टिंग इंक होते हैं ।
भारतीय करेंसी के हर एक नोट पर भारतीय धरोहरों सूर्य मंदिर (10 नोट), रेड फोर्ट ( 500 नोट) और दूसरे ऐतिहासिक महत्व की तस्वीरें होती हैं, ये भारत की सांस्कृतिक धरोहर को दिखाती हैं।