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इलेक्टोरल बॉन्ड से राजनीतिक पार्टियां ही नहीं आपकी भी लॉटरी,जानिए कैसे

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चुनावी बॉन्ड पर रोक

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्‍ड यानी इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral Bond) पर रोक लगा दी है। सर्वोच्च अदालत ने इसे असंवैधानिक बताते हुए खरीद-बिक्री पर तत्‍काल प्रभाव से रोक लगा दिया है।

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इलेक्टोरल बॉन्ड क्या होता है

इलेक्टोरल बॉन्ड को चुनावी चंदा भी कहते हैं। इस बॉन्‍ड के जरिये ही देश की राजनीतिक पार्टियों को चंदा दिया जाता था। इससे पार्टियों के अलावा हमारा-आपका भी फायदा होता है।

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पसंदीदा पार्टी को कैसे दे सकते हैं चंदा

आम आदमी यानी हम और आप अपनी पसंदीदा पार्टी को चंदा कैसे देंगे, इसकी व्‍यवस्‍था के लिए सरकार ने साल 2018 में चुनावी बॉन्‍ड लेकर आई। इससे आप अपनी पसंदीदा पार्टी को चंदा दे सकते हैं।

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इलेक्टोरल बॉन्ड से आम जनता का कैसे फायदा

चुनावी चंदा देकर आप टैक्‍स बचाने का मौका पा सकते हैं। बॉन्‍ड जारी करने के साथ सरकार ने इनकम टैक्‍स एक्‍ट में इसे शामिल कर लिया था। इसका फायदा इनकम टैक्स में छूट में मिलती है।

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चुनावी बॉन्ड और इनकम टैक्स में छूट

इनकम टैक्‍स की धारा 80GGC और 80GGB के तहत चुनावी बॉन्‍ड पर टैक्‍स छूट मिलती है। कोई 1 लाख का इलेक्टोरल बॉन्‍ड खरीदता है तो रिटर्न भरते समय पूरी रकम पर टैक्‍स छूट क्‍लेम कर सकता है।

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इलेक्टोरल बॉन्ड से कंपनियों को क्या फायदा

चुनावी बॉन्‍ड से जनता ही नहीं कंपनियां भी टैक्स बचा सकती हैं। सरकार ने बॉन्‍ड जारी करने से पहले कंपनी एक्‍ट 2013 के सेक्‍शन 182 में बदलाव किए, जिससे कंपनी बॉन्ड से चंदा दे सकती है।

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चुनावी बॉन्ड को लेकर क्या है कंपनी एक्ट

इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदकर कोई भी कंपनी चंदा दे सकती है। उसका नाम भी पूरी तरह गुप्‍त रखा जाता है। यह बदलाव 2017 में जो बजट आया था, उसमें ही कर दिया गया था।

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चुनावी बॉन्‍ड कहां मिलते हैं

चुनावी बॉन्ड SBI के जरिए देश में बचे जाता है। कोई भी व्‍यक्ति, ग्रुप या कंपनी इस बॉन्ड को खरीद सकती है। इसकी एक रसीद मिलती है। जिससे इनकम टैक्स में छूट के लिए क्लेम कर सकते हैं।

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