कश्मीरी पश्मीना शॉल रॉयल्टी की निशानी होती है, जो लद्दाख के चंगथांग में पाई जाने वाली चांगरा बकरियों के ऊन से बनती हैं। आरामदायक-सुंदरता की वजह से दुनियाभर की महिलाओं की पसंद हैं।
जम्मू-कश्मीर में लकड़ी की नाव को बेहद खूबसूरती से सजाया जाता है। पारंपरिक भाषा में इसे `शिकारा` कहते हैं। दुनियाभर के टूरस्ट इसे एंजॉय करने पहुंचते हैं।
जम्मू-कश्मीर में संगीत सूफियाना कलाम है। माना जाता है कश्मीर में इस्तेमाल होने वाले संगीत वाद्ययंत्र पहली बार ईरान में बने थे। यहां का लोकप्रिय संगीत रबाब और रूफ पारंपरिक नृत्य है।
जम्मू कश्मीर की कला और शिल्प काफी उत्तम मानी जाती है। यहां के बुने कालीन, रेशम कालीन, गलीचे, ऊनी शॉल, मिट्टी के बर्तन और कुर्ते बेहद खूबसूरती से उकेरे जाते हैं।
रोगन जोश, कश्मीरी पुलाव, योगर्ट लैंब करी कश्मीर की खास व्यंजन हैं। रोगन जोश को मीट के साथ भुने प्याज, मसाले और दही डालकर बनायाजाता है। रोगन जोश का कश्मीरी मिर्च बना देती है।
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटने के बाद पहली बार विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। राज्य में 3 फेज में वोटिंग होगी। 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर, 2024 को वोट डाले जाएंगे।