हेल्थ इंश्योरेंस में कैशलेस क्लेम के लिए पहले काफी परेशानियों से जूझना पड़ता था, लेकिन अब अस्पताल से डिस्चार्ज रिक्वेस्ट की रसीद मिलने के 3 घंटे के अंदर इसे निपटाना जरूरी होगा।
अगर कोई इंश्योरेंस कंपनी कैशलेस क्लेम निपटाने में 3 घंटे से ज्यादा देर लगाती है तो ऐसे में अस्पताल द्वारा लिया गया कोई भी एक्स्ट्रा चार्ज बीमा कंपनी को अपने फंड से देना होगा।
बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण ने कैशलेस भुगतान को लेकर नियमों में बड़ा बदलाव किया है। IRDAI की ओर से जारी एक सर्कुलर में इसको लेकर साफ दिशा-निर्देश दिए गए हैं।
IRDAI ने साफ सर्कुलर में कहा है कि अगर इलाज के दौरान किसी बीमाधारक की मौत हो जाती है तो ऐसी स्थिति में कंपनी को क्लेम के भुगतान की प्रॉसेस फौरन शुरू करनी होगी।
सर्कुलर में IRDAI ने कहा है- बीमाधारक अपना भुगतान 100 प्रतिशत कैशलेस के रूप में करा सकता है। वहीं, इमरजेंसी केसेस में रिक्वेस्ट मिलने के 1 घंटे के भीतर कैशलेस पर फैसला लेना होगा।
IRDAI ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया है कि कैशलेस क्लेम पर 31 जुलाई 2024 तक सारी चीजें पूरी करें। लोगों की सुविधा के लिए बीमा कंपनियां हास्पिटल में ही एक डेस्क बनाएं।
IRDAI ने कहा है कि बीमा कंपनियां हर उम्र के हिसाब से पॉलिसी बनाएं। साथ ही अगर पॉलिसी धारक बीमा अवधि के दौरान पॉलिसी कैंसिल करता है तो उसे प्रीमियम का रिफंड भी दिया जाए।