क्रेडिट कार्ड लेने से पहले खुद से पूछना चाहिए कि क्या वाकई में आपको इसकी जरूरत है। क्योंकि ध्यान रखना चाहिए कि क्रेडिट कार्ड का मतलब आप एक तरह का कर्ज ले रहे हैं।
मार्केट में कई तरह के क्रेडिट कार्ड उपलब्ध हैं। ऐसे में इसे लेने से पहले समझिए कि आपका ज्यादा खर्च किस काम में हो रहा है, उसी हिसाब से क्रेडिट कार्ड लेने पर अधिक फायदा होगा।
क्रेडिट कार्ड लेने से पहले जान लेना चाहिए कि एक रिवॉर्ड पॉइंट के बदले क्या मिलता है। हर बैंक का अलग नियम होता है। ऐसे में रिवॉर्ड पॉइंट्स से फायदा पा सकते हैं।
क्रेडिट कार्ड पर EMI का ऑप्शन मिलता है। ऐसे में कुछ लोग EMI पर ढेरों शॉपिंग कर लेते हैं और कर्ज के जाल में फंस जाते हैं। इसलिए शॉपिंग से पहले समझ लें EMI की जरूरत है या नहीं।
बहुत से लोग क्रेडिट कार्ड के मिनिमम ड्यू को चुकाकर बकाया अगले महीने तक कैरी फॉरवर्ड कर लेते हैं। दो-तीन बार ऐसा करने पर कोई बात नहीं लेकिन अक्सर ऐसा करने पर कर्ज बढ़ता चला जाएगा।
कई लोग क्रेडिट कार्ड की लिमिट का जरूरत से ज्यादा यूज करते हैं। इसे यूटिलाइजेशन रेश्यो कहते हैं। जब ये ज्यादा हो जाता है तो क्रेडिट लिमिट कम की जा सकती है, सिबिल स्कोर खराब होता है।
ज्यादा क्रेडिट कार्ड रखने पर बैंकों को लगता है कि आप कर्ज पर ज्यादा निर्भर हैं और रिस्की यूजर हैं। ऐसे में आपकी क्रेडिट कार्ड कम हो सकती है। इससे हिसाब लगाने में भी दिक्कत होती है।
क्रेडिट कार्ड के पेमेंट करने 30-45 दिन का समय मिलता है। आप चाहें तो तुरंत पैसे चुका सकते हैं। ऐसे में क्रेडिट कार्ड लेने पर ज्यादा समय कार्ड समय देने वालों का फायदा उठा सके।
क्रेडिट कार्ड का बिल न चुका पाने पर बैंक या कंपनियां तगड़ा ब्याज लगा देती हैं।इसलिए पहले से ही पता होना चाहिए कि कितना ब्याज चुकाना पड़ सकता है। ऐसे में उस स्थिति के लिए तैयार रहें
कुछ क्रेडिट कार्ड एनुअल फीस नहीं लेती हैं, जबकि कुछ चार्ज लगाती हैं। कार्ड लेने से पहले ही समझना चाहिए कि उस पर कितना चार्ज लगता है। यह भी पता करें कि कितनी शॉपिंग पर ये माफ होगा।