कई कंपनियां कर्मचारियों को मकान किराया भत्ता देती हैं, जो बेसिक सैलरी का 40-50% शामिल होता है। अगर आपकी कंपनी ये अलाउंस नहीं दे रही है तो HR से बात कर शामिल करवाएं और टैक्स बचाएं।
ट्रैवलिंग या कन्वेंस अलाउंस काफी खर्चा बचाता है। ज्यादातर कंपनियां कर्मचारियों को ये अलाउंस देती हैं लेकिन अगर आपकी कंपनी नहीं दे रही तो इसे शामिल करवाकर टैक्स बचा सकते हैं।
कुछ कंपनियां कर्मचारियों को मेडिकल अलाउंस भी देती हैं। इसमें कर्मचारी और उसकी फैमिली कवर की जाती है। अगर आपकी सैलरी में ये अलाउंस नहीं है तो इसे शामिल कर अच्छा टैक्स बचा सकते हैं।
कई कंपनियां अपने कर्मचारियों को कार मेंटेनेंस अलाउंस देती हैं। अगर आपका कार खर्च ज्यादा है तो अपने एचआर से बात कर इस अलाउंस शामिल करवा सकते हैं, इससे टैक्स कम चुकाना पड़ेगा।
इस अलाउंस में फोन और इंटरनेट के बिल रीइम्बर्समेंट होता है। जितना आपका खर्चा हुआ है, उसकी एक तय सीमा तक कंपनी बिना टैक्स काटे देती है। इससे टैक्सेबल इनकम कम होती है।
फूड कूपन से भी टैक्स बचता है। इसे एंटरटेनमेंट अलाउंस भी कहते हैं। कई कंपनियां 2000-3000 रुपए मंथली ये अलाउंस देती है। फूड बिल दिखाकर इसके पैसे बिना टैक्स काटे वापस मिल जाते हैं।
आपके बेटे-बेटी की उम्र और योग्यता के हिसाब से आपको एजुकेशन या हॉस्टल अलाउंस भी मिल सकता है, इसके लिए कंपनी के एचआर से बात करें। वे आपको इसके फायदे भी गिना देंगे।
इस अलाउंस में कर्मचारियों को घूमने जाने के लिए अलाउंस दिया जाता है। 4 साल में 2 बार लंबे टूर पर जाने के लिए एक तय सीमा तक खर्च का अलाउंस मिल सकता है। इससे टैक्स भी बचता है।
कुछ ही कंपनियां कर्मचारियों को ये अलाउंस देती हैं। अगर आपकी कंपनी में ये अलाउंस मिलता है तो शामिल करवाएं। यूनीफॉर्म खर्च मेंटेन के लिए मिलने वाले पैसे पर कोई टैक्स नहीं लगता है।
कई कंपनियों में न्यूजपेपर, मैगजीन या किताबें पढ़ने की आवश्यकता होती है। मीडिया उनमें से एक है। ऐसी कंपनियां इसके लिए अलाउंस देती हैं। इसे सैलरी में शामिल करवा टैक्स बचा सकते हैं।