देश की सबसे अमीर फैमिली पर 22 साल पहले आज ही के दिन दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था। 6 जुलाई, 2002 को मुकेश अंबानी के पिता और रिलायंस इंडस्ट्री फाउंडर धीरूभाई अंबानी का निधन हो गया था।
28 दिसंबर, 1932 को गुजरात के चोरवाड में जन्म हुआ। पैसों की तंगी थी तो हाईस्कूल तक भी नहीं पढ़ पाए और छोटे-छोटे काम कर पैसा कमाने लगे। गिरनार पहाड़ियों पास पकौड़े बेचा करते थे।
17 साल की उम्र में धीरूभाई अंबानी नौकरी करने यमन चले गए। वहां पेट्रोल पंप पर नौकरी की। काम को देखकर फिलिंग स्टेशन में मैनेजर बना दिया गया। कुछ साल बाद 1954 में भारत आ गए।
धीरूभाई ने 1958 में 15,000 रुपए से रिलायंस कमर्शियल कॉरपोरेशन नाम से कंफनी खोली। मसाला बेचने लगे। तब उनके ऑफिस में कुछ भी नहीं था। इसके बाद नरोदा में कपड़ा मिल शुरू किया।
धीरूभाई ने साल 1977 में अपनी कंपनी का आईपीओ लाए। इसमें 58,000 से ज्यादा निवेशक शामिल हुए। स्टॉक मार्केट में दलालों ने परेशान किया तो ऐसा दांव चला कि तीन दिन मार्केट ही बंद रहा।
90 का दशक आते-आते रिलायंस से 24 लाख निवेशक जुड़ गए। धीरूभाई कंपनी की एजीएम होती थी। 1985 में मुंबई के कूपरेज फुटबॉल ग्राउंड्स में हुईAGM देश में शेयरहोल्डर्स की सबसे बड़ी मीटिंग थी
एक बार गुजरात में अंबानी का पेट्रोकेमिकल प्रोजेक्ट बर्बाद हो गया था, तब मुकेश अंबानी और धीरूभाई अंबानी ने मिलकर उसे तय समय से पहले शुरू कर दिया, जिससे अमेरिका भी प्रभावित हो गया था
पिता ने जिस रिलायंस की नींव रखी, उसे अब बेटे मुकेश अंबानी ने टॉप पर पहुंचाया। एशिया के सबसे अमीर इंसान बन गए हैं। ब्लूमबर्ग बिलिनेयर इंडेक्स के अनुसार, उनकी नेटवर्थ 120 अरब डॉलर है