प्राइवेट सेक्टर में कब और कैसे छंटनी हो जाए, भरोसा नहीं है। आजकल तो कई बड़ी कंपनियां अपने यहां कॉस्ट कटिंग कर रही हैं। ऐसे में अगर जॉब चली जाए तो लोन लेने वालों पर संकट आ जाता है।
अगर अचानक से जॉब चली जाए तो एक जुगाड़ से EMI की व्यवस्था कर सकते हैं। इसके लिए जॉब लॉस इंश्योरेंस (Job Loss Insurance) लेना होगा। इससे लोन की ब्याज का पेमेंट कर सकते हैं।
जीवन बीमा का एड-ऑन फीचर ही जॉब लॉस इंश्योरेंस होता है। यह क्रेडिट प्रोटेक्शन लाइफ इंश्योरेंस में मिलता है। कुछ बीमा कंपनियां जीवन बीमा के साथ तो कुछ अलग से ऑफर करती हैं।
अगर इस इंश्योरेंस को ले रखा है तो जॉब जाने पर भी क्रेडिट कार्ड का बिल, होम-ऑटो लोन की EMI या किसी तरह का ब्याज आसानी से चुका सकते हैं।
ज्यादातर बीमा कंपनियां पॉलिसी लेने के पांच साल तक ही जॉब लॉस इंश्योरेंस का कवरेज देती हैं। हालांकि, पॉलिसी लेते समय इसके बारें में अच्छी तरह जानकारी ले लेनी चाहिए।
फुल टाइम जॉब करने वाले इस इंश्योरेंस को ले सकते हैं। इसमें उम्र की भी कुछ शर्ते होती हैं। सेल्फ सेल्फ एम्पलॉयड या पार्ट टाइम जॉब करने वालों के लिए यह बीमा नहीं है।
अगर आपकी जॉब चली जाती है तो उसके बाद से कम से कम तीन से चार बार की EMI का भुगतान बीमा कंपनियां करती हैं। मतलब आपके पास तीन से चार महीने का वक्त होता है, नई जॉब सर्च करने का।
मूल बीमा के प्रीमियम का 3-5 प्रतिशत तक प्रीमियम जॉब लॉस इंश्योरेंस का होता है। अगर किसी लोन का प्रीमियम 10 हजार रु है तो उसका जॉब लॉस इंश्योरेंस का प्रीमियम 300-500 रुपए हो सकता है