टर्म पॉलिसी लेते समय अगर कोई गंभीर बीमारी छिपा रहे हैं तो सावधान हो जाइए, क्योंकि इससे मौत होती है तो बीमा कंपनी क्लेम रिजेक्ट कर सकती है। एड्स,एचआईवी से मौत पर क्लेम नहीं मिलता है
टर्म इंश्योरेंस प्लान लेने के 1 साल के भीतर पॉलिसी होल्डर अगर सुसाइड कर लेता है तो उसकी फैमिली को इसका क्लेम नहीं मिलेगा। 1 साल बाद अगर ऐसा होता है तो बीमा क्लेम मिल जाता है।
किसी तरह का नशा करके अगर गाड़ी चलाते समय एक्सीडेंट हो जाए और उसमें जान चली जाए तो टर्म इंश्योरेंस क्लेम में दिक्कतें आ सकती हैं। ड्रग्स-शराब ओवरडोज से मौत पर भी क्लेम नहीं मिलेगा।
भूकंप, बाढ़ या किसी प्राकृतिक आपदा से अगर पॉलिसी होल्डर की मौत हो जाती है तो भी टर्म इंश्योरेंस का पैसा नहीं मिलता है। बीमा कंपनियां क्लेम रिजेक्ट कर देती हैं।
अगर पॉलिसी होल्डर कोई खतरनाक स्टंट करता है और उसकी मौत हो जाती है तो टर्म इंश्योरेंस का क्लेम नहीं मिलेगा। इनमें बंजी जंपिंग या कार-बाइक रेस जैसी एक्टिविटीज शामिल हैं।
अगर पॉलिसी होल्डर को उसका नॉमिनी ही जान से मार दे तो टर्म इंश्योरेंस का क्लेम नहीं मिलता है। इसलिए इंश्योरेंस की पूरी पॉलिसी समझ लेनी चाहिए।
इरडा का नियम कहता है अगर टर्म इंश्योरेंस लेने वाला किसी क्राइम में शामिल है और उसका मर्डर कर दिया जाता है तो बीमा क्लेम का पैसा नहीं मिलता है।
अगर महिला पॉलिसी होल्डर की मौत डिलीवरी के वक्त हो जाती है तो टर्म इंश्योरेंस का पैसा नहीं मिलता है। यह टर्म पॉलिसी में कवर नहीं होता है।