किसी भी म्यूचुअल फंड में SIP स्टार्ट करने से पहले उस फंड के परफॉर्मेंस का एनालिसिस करें। लंबे समय तक लगातार अच्छे प्रदर्शन वाले फंड में ही पैसा लगाएं।
कम एक्सपेंस रेशियो वाले फंड में ही पैसा लगाना चाहिए। फंड मैनेजर का ट्रैक रिकॉर्ड जरूर चेक करें।
यह तय करें कि फंड जोखिमों को कम करने के लिए सही तरह से उसका डायवर्सिफिकेशन किया गया हो।
डिसिप्लिन तरीके से निवेश करने की आदत बनाएं। लॉन्ग टर्म के फाइनेंशियल गोल को पाने के लिए यह बेहद जरूरी है।
एसआईपी शुरू करने से पहले फाइनेंशियल गोल सेट कर लें। इससे निवेश आसान बन जाता है।
जोखिम और फाइनेंशियल गोल में फिट बैठने वाले सही म्यूचुअल फंड ही चुनें। अलग-अलग फंडों में निवेश का जोखिम अलग-अलग होता है, ऐसे में सही फंड को ही पोर्टफोलियो में रखें।
मंथली एसआईपी को ऑटो-डेबिट मोड में ही रखें। इससे तय तारीख पर एसआईपी राशि बैंक अकाउंट से अपने आप ही कट जाती है।
SIP शुरू करने के बाद बीच-बीच में अपने पोर्टफोलियो का वैल्यूएशन करते रहें। उसे बैलेंस बनाए रखें। इससे ज्यादा रिटर्न मिलने में मदद मिलता है।
इमोशनल होकर कभी निवेश न करें। बाजार के उतार-चढ़ाव में अपने इमोशन को कंट्रोल में रखें। अनुशासित होकर निवेश करने से अच्छा रिटर्न मिल सकता है।
इनकम बढ़ने के साथ एसआईपी की रकम भी बढ़ाते जाएं। इससे बड़ा फंड बनाने में मदद मिलती है।