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No Cost EMI में बहुत झोल है ! जागो ग्राहक जागो

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नो कॉस्ट EMI में क्या दावा करती हैं कंपनियां

शॉपिंग पर बिना ब्याज वाली EMI का ऑप्‍शन दिया जाता है। नो कॉस्‍ट EMI में प्रोडक्‍ट्स किस्तों में खरीद सकते हैं। दावा क‍िया जाता है क‍ि इसमें कोई एक्‍स्ट्रा ब्‍याज नहीं ल‍िया जाता है

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नो कॉस्ट EMI कैसे काम करती है

No Cost EMI में ब्याज या प्रोसेस‍िंग फीस नहीं होती लेकिन रेगुलर EMI में ब्याज और प्रोसेस‍िंग दोनों ही होते हैं। नो कॉस्‍ट EMI में रीपेमेंट की EMI प्रोडक्‍ट की कीमत के बराबर होती है

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नो-कॉस्‍ट EMI का उदाहरण

पैसा बाजार के मुताबिक, 11,000 रु. का प्रोडक्‍ट खरीदने पर नो-कॉस्‍ट EMI में ब्‍याज चार्ज 287 रु. ड‍िस्‍काउंट में से एडजस्‍ट होता है। इसमें 3,663 रु की 3 EMI में 10,990 रु. देना होगा

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रेगुलर EMI कितनी ज्यादा देनी होती है

अगर 11,000 का प्रोडक्ट ही रेगुलर ईएमआई होती तो आपको 3,811 रु. की EMI देनी पड़ती। इस पर लगने वाले 442 रु. का ब्‍याज तीन बराबर EMI में देना होता और कुल 11,432 रुपए भरने पड़ते।

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नो कॉस्ट EMI कैसे दिया जाता है

नो-कॉस्‍ट EMI आमतौर पर 3, 6 या 9 महीने के ल‍िए किया जाता है। ये सेलर और बैंक के बीच एक तरह का करार होता है। जिसमें No Cost EMI को कस्‍टमर के ल‍िए ब्याज फ्री बनाकर दिया जाता है।

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नो कॉस्ट EMI का क्या फायदा

इसमें कस्टमर को लोन पर ब्याज नहीं देना होगा। ब्याज आमतौर पर सेलर भरते हैं, जो ब्याज की भरपाई के लिए सामान को छूट पर देते हैं। मतलब बिना एक्‍स्ट्रा ब्याज किस्तों में शॉपिंग।

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नो-कॉस्ट EMI में क्या झोल है

लोन देने वाला बैंक नो कॉस्ट EMI के लिए प्रोसेस‍िंग फीस लेता है। प्रोसेस‍िंग फीस के तौर पर ब्याज लेने की अनुमति देता है। नो कॉस्ट EMI से उस प्रोडक्‍ट पर मिलने वाली छूट नहीं मिलती है

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क्या रेगुलर कीमत पर सामान मिलता है

प्रोडक्ट पर छूट का फायदा नो कॉस्ट EMI में बदल दिया जाता है। मतबल अगर किसी प्रोडक्‍ट को डिस्काउंट पर दिया जा रहा है तो नो कॉस्ट EMI लेने पर प्रोडक्‍ट रेगुलर कीमत पर ही उपलब्ध होगा।

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क्या नो कॉस्ट EMI कुछ नहीं है

साल 2013 में RBI ने नो कॉस्ट EMI स्‍कीम को लागू करते हुए नोट‍िफ‍िकेशन जारी क‍िया था। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, इससे साफ हुआ कि जीरो परसेंट ब्याज यानी नो कॉस्ट EMI असल में कुछ है नहीं।

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