कर्मचारी को कंपनी Form 16 देती है। यह एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें सैलरी से काटे गए सभी TDS की डिटेल्स होती है। इसमें कर्मचारी को मिली सैलरी और उस पर काटे टैक्स का ब्योरा होता है।
Form 16 पर कर्मचारी की तरफ से टैक्स बचाने के लिए सभी डिटेल्स दिए गए होते हैं। यह आईटीआर यानी इनकम टैक्स दाखिल करने में काफी मददगार होता है।
पार्ट A में सैलरी से कटे टैक्स की जानकारी (TDS) रहती है। पार्ट B में सैलरी से हुई कमाई और कर्मचारी की ओर से टैक्स बचाने की डिटेल्स होती है। इसलिए फॉर्म 16 दो पार्ट में होता है।
फॉर्म 16 को निवेश और टैक्स छूट के आधार पर तीन पार्ट में बांटा जाता है। 16A टैक्स डिडक्टर की ओर से जारी होता है। जैसे- कंपनी अपने कर्मचारी को जारी करती है।
Form 16B जब जारी होता है, जब टैक्सपेयर कोई प्रॉपर्टी खरीदी या बेची या किराए पर दी हो। Form 16C उन्हें दिया जाता है, जो किराया देते हैं या हिंदू अविभाज्य फैमिली (HUF) से आते हैं।
इनकम टैक्स की धारा 203 के तहत हर कंपनी को 15 जून से पहले फॉर्म 16 जारी करना होता है लेकिन इसके बिना भी इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल कर सकते हैं।
इसके लिए Form 26AS और एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) की आवश्यकता होती है। आप सैलरी स्लिप और अपने निवेश डॉक्यूमेंट्स की मदद से ऐसा कर सकते हैं।