ज्यादातर लोग सोचते हैं कि अगर उन्होंने लोन जल्दी चुका दिया, तो ब्याज की बचत हो जाएगी। लेकिन ज्यादातर बैंक और NBFCs प्रीपेमेंट या फॉरक्लोजर फीस चार्ज करते हैं, जो 2-5% तक हो सकता है
एक EMI चूकना क्रेडिट स्कोर को प्रभावित करता है, लेकिन लेट पेमेंट पर एक्स्ट्रा पेनल्टी चार्ज भी लग सकता है। कुछ लेंडर्स फिक्स्ड फाइन लेते हैं, जबकि कुछ प्रतिशत से चार्ज करते हैं।
ब्याज दर साफ-साफ बताई जाती है, प्रोसेसिंग चार्ज, डॉक्यूमेंटेशन फीस और GST अक्सर अनदेखा रह जाता है। कई बार फोरक्लोजर लेटर या लोन स्टेटमेंट के लिए भी फीस लिया जाता है।
अगर आपका पर्सनल लोन फ्लोटिंग रेट पर है, तो EMI बेंचमार्क ब्याज दर के बदलाव अनुसार बदल सकती हैं। एग्रीमेंट में साफ किया जाता है कि यह बदलाव कब-कैसे लागू होगा, छमाही, छमाही या सालाना
कई पर्सनल लोन में इंश्योरेंस पॉलिसी शामिल होती है, जो नौकरी जाने, दिव्यांगता या मौत की स्थिति में कवर देती है।लेकिन अक्सर ये ऑप्शनल होते हैं। कुछ लेंडर्स अनिवार्य भी बना देते हैं।
लोन की अवधि तय करने से पहले सोचें कि आपकी EMI आसानी से चुक सकती है।छोटी अवधि में EMI ज्यादा होगी, लॉन्ग टर्म में कुल ब्याज ज्यादा होता है। इसलिए अपनी इनकम के हिसाब से टेन्योर चुनें
कुछ लेंडर्स अलग से स्टैम्प ड्यूटी, क्लीयरिंग चार्ज और रिन्यूअल फीस भी लेते हैं। हर फीस की जानकारी पहले से लें ताकि बाद में बहुत ज्यादा खर्च न हो।
पर्सनल लोन लेने से पहले अपना क्रेडिट स्कोर चेक करें। खराब स्कोर होने पर हाई ब्याज दर लग सकती है या लोन रिजेक्ट हो सकता है। इसलिए बिल समय पर चुकाएं और क्रेडिट हिस्ट्री साफ रखें।
लोन लेने का कारण तय न होने पर गैरजरूरी खर्च बढ़ सकते हैं। सिर्फ जरूरी चीजों के लिए लोन लें और बजट प्लान बनाकर खर्च करें।
कुछ मामलों में पर्सनल लोन को रिफाइनेंस या बैलेंस ट्रांसफर किया जा सकता है, जिससे ब्याज कम हो या EMI आसान हो जाए। रिफाइनेंसिंग के लिए सभी फीस और टर्म्स समझें।
यह आर्टिकल सिर्फ जानकारी के लिए है। पर्सनल लोन लेने से पहले हमेशा अपने बैंक या फाइनेंशियल एडवाइजर से सलाह लें।