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क्या होता है रेपो रेट, जिसके बदलने पर घट-बढ़ जाती है आपकी EMI

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9वीं बार नहीं बदला रेपो रेट

भारतीय रिजर्व बैंक ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है। इसे 6.5% पर बरकरार रखा है। आरबीआई पॉलिसी (RBI Policy) की जानकारी गुरुवार को गवर्नर शक्तिदास कांत ने दी।

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GDP कितनी रहने का अनुमान

रिजर्व बैंक ने फाइनेंशियल ईयर-25 के लिए जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.2% बरकरार रखा है। वहीं, मौजूदा वित्त वर्ष का महंगाई अनुमान 4.5% पर बरकरार रखा है।

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रेपो रेट न बदलने से क्या फर्क पड़ेगा

रेपो दर 6.5 फीसदी पर ही रहने का मतलब है कि आपकी लोन की EMI नहीं बढ़ेगी। इससे पहले रिजर्व बैंक ने आखिरी बार फरवरी, 2023 में रेपो रेट को बढ़ाकर 6.5% किया था।

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Repo Rate क्या होता है

रिजर्व बैंक (RBI) के पास महंगाई से लड़ने का एक पावरफुल टूल है, जिसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट पर ही केंद्रीय बैंक बाकी बैंकों को कर्ज यानी लोन देता है।

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रेपो रेट से महंगाई कैसे घट-बढ़ जाती है

जब महंगाई बहुत ज्यादा होती है तब, आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होने से बैंकों को RBI से मिलने वाला लोन महंगा होगा।

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रेपो रेट से EMI कैसे कम-ज्यादा होती है

रेपो रेट बढ़ने पर बैंकों को RBI से महंगा कर्ज मिलता है, बदले में बैंक ग्राहकों का लोन महंगा करते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है, डिमांड में कमी आती है, महंगाई घट जाती है

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रेपो रेट कम होने से क्या असर होता है

जब इकोनॉमी बुरे दौर में होती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने RBI रेपो रेट कम कर देता है, जिससे बैंकों को मिलने वाला कर्ज सस्ता हो जाता है और हमें-आपको भी सस्ता लोन मिलता है।

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