रेपो रेट से कैसे कम-ज्यादा होती है आपकी EMI, क्या है RBI का ये टूल
Business News Oct 09 2024
Author: Satyam Bhardwaj Image Credits:Freepik
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RBI Monetary Policy
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग का आज 9 अक्टूबर को आखिरी दिन है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस बार भी रेपो रेट में किसी तरह का बदलाव नहीं होगा।
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9वीं बार नहीं बदला था रेपो रेट
RBI ने लगातार 9वीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव न करते हुए इसे 6.5% पर बरकरार रखा था। RBI ने आखिरी बार पिछले साल फरवरी में रेपो रेट 0.25% बढ़ाकर 6.5% कर दिया था।
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रेपो रेट क्या होता है
रिजर्व बैंक (RBI) के पास महंगाई से निपटने का एक पावरफुल टूल है, जिसे रेपो रेट कहा जाता है। रेपो रेट पर ही केंद्रीय बैंक बाकी बैंकों को कर्ज मतलब लोन देता है।
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रेपो रेट का महंगाई पर असर
महंगाई बहुत ज्यादा बढ़ने पर आरबीआई रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो कम करने की कोशिश करता है। रेपो रेट ज्यादा होने से बैंकों को रिजर्व बैंक से मिलने वाला लोन महंगा होगा।
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रेपो रेट का EMI पर असर
रेपो रेट बढ़ने पर बैंकों को आरबीआई से महंगा लोन मिलता है, बदले में बैंक कस्टमर्स का लोन महंगा कर देते हैं। इससे इकोनॉमी में मनी फ्लो कम होता है, डिमांड घटता है और महंगाई घटती है।
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रेपो रेट कम हो जाए तो क्या होगा
जब इकोनॉमी बुरे दौर में रहती है तो रिकवरी के लिए मनी फ्लो बढ़ाने के लिए आरबीआई रेपो रेट कम कर देता है। इससे बैंकों को मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है और सस्ता लोन हमें मिलता है।
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रिवर्स रेपो रेट क्या है
इस दर पर बैंकों को आरबीआई में जमा धन पर ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट बाजारों में कैश लिक्विडिटी कंट्रोल करने का काम आती है। मार्केट में ज्यादा कैश होने पर RBI इसे बढ़ा देता है।