मंगलवार को सेंसेक्स में 600 अंक से ज्यादा की गिरावट है। जोरदार बिकवाली चल रही है। निफ्टी भी धड़ाम है। NSE के सभी सेक्टर्स बिखर चुके हैं। पूरे मार्केट में उथल-पुथल मची है।
भारतीय शेयर बाजार में अक्टूबर महीने में लगातार करेक्शन देखने को मिल रहा है। बाजार अब भी अपने 52 हफ्तों के हाई लेवल से काफी नीचे बना है। ऐसे में इशारा चीन की ओर जा रहा है।
अक्टूबर में शेयर बाजार से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने 82,479 करोड़ रु निकाले हैं, जो बड़े सेंटीमेंट शिफ्ट को दिखाता है। इसकी वजह चीनी इकोनॉमी में ग्रोथ का मोमेंटम बनना है।
हाल ही में चीन के केंद्रीय बैंक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने इकोनॉमी को बेहतर बनाने के लिए बड़ा कदम उठाया। सेंट्रल बैंक ने कमर्शियल बैंकों के रिजर्व पैसे को कम कर दिया है।
चीन के सेंट्रल बैंक के फैसले से बैंकों के पास 142.6 अरब डॉलर की एक्स्ट्रा लिक्विडिटी बढ़ेगी। चीन ने देश की इकोनॉमी में इस साल 5 प्रतिशत ग्रोथ की उम्मीद है और इसे बढ़ाने पर फोकस है।
ट्रेंडलाइन डेटा के अनुसार, शेयर बाजार में किसी एक महीने में होने वाली यह अब तक की सबसे बड़ी निकासी है। इससे पहले कोविड के समय मार्च 2020 में FPI ने 65,816 करोड़ रुपए निकाले थे।
अक्टूबर के महीने में सबसे ज्यादा निकासी 3 अक्टूबर को हुई थी। तब 15,506 करोड़ रुपए FPI का आउटफ्लो हुआ था। एक्सपर्ट्स का मानना है कि विदेशी निवेशक चीनी मार्केट में शिफ्ट हो रहे हैं।
शेयर बाजार में निवेश जोखिमों के अधीन है। निवेश से पहले अपने मार्केट एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें।