रतन टाटा के पिता, नवल टाटा, एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे थे। उनके दादा, होर्मुसजी टाटा, अहमदाबाद के टाटा ग्रुप की एडवांस मिल्स में स्पिनिंग मास्टर के रूप में काम करते थे।
जब नवल केवल चार वर्ष के थे, तभी उनके पिता का निधन हो गया, जिससे परिवार वित्तीय संकट में चला गया।
13 वर्ष की आयु में, नवल को जे एन पेटिट पारसी अनाथालय भेजा गया। यहीं उनकी किस्मत पलटी, जब नवाजबाई टाटा, सर रतन टाटा की पत्नी ने उन्हें गोद लिया। जिसके बाद उनका नाम नवल टाटा पड़ा।
अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद, नवल टाटा लंदन गए जहां उन्होंने अकाउंटिंग की पढ़ाई की। 1930 में, 26 वर्ष की आयु में, उन्होंने टाटा संस ग्रुप में शामिल होकर अपने करियर की शुरुआत की।
नवल टाटा ने मेहनत और प्रतिभा के बल पर तेजी से उन्नति की। 1939 में, वे टाटा मिल्स के संयुक्त प्रबंध निदेशक बने और बाद में टाटा संस के निदेशक के रूप में नियुक्त किए गए।
नवल टाटा ने जीवन की चुनौतियों का सामना करते हुए कहा था, मैं ईश्वर का आभारी हूं कि मुझे गरीबी के दर्द का अनुभव करने का अवसर मिला। यह उनके व्यक्तित्व को आकार देने में महत्वपूर्ण था।
नवल टाटा ने दो बार शादी की थी। उनकी पहली पत्नी ने रतन टाटा को जन्म दिया। नवल टाटा का निधन 5 मई, 1989 को हुआ, लेकिन उनकी विरासत हमेशा टाटा परिवार के साथ जुड़ी रहेगी।
सर रतन जी टाटा और उनकी पत्नी के गोद लिये बेटे थे नवल टाटा।
नवल टाटा की दो पत्नी से 3 बच्चे। पहली पत्नी से रतन एन टाटा और जिम्मी एन टाटा और दूसरे पत्नी से नोएल एन टाटा। रतन टाटा और जिम्मी एन टाटा ने शादी नहीं की।
नोएल टाटा के तीन बच्चे लिया टाटा, माया टाटा और नेविल टाटा। नेविल टाटा की पत्नी का नाम मानसी किर्लोस्कर है। इनका एक बेटा gS जिसका नाम जमसेत टाटा है।