रतन टाटा दूरदर्शी नेतृत्व वाले व्यक्ति थे। उन्होंने टाटा समूह का विस्तार किया। उसे स्टील से लेकर आईटी तक में दिग्गज बनाया।
रतन टाटा अपने नैतिक मानकों और कॉर्पोरेट प्रशासन के प्रति प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते हैं। कर्मचारी और स्टेकहोल्डर्स उनपर विश्वास करते थे।
रतन टाटा बहुत अधिक सफल होने के बाद भी बेहद विनम्र थे। वे अक्सर उपलब्धियों का श्रेय अपनी टीम को देते और असफलताओं की जिम्मेदारी खुद लेते थे।
रतन टाटा बड़े फैसले लेने से पीछे नहीं हटते थे। वह कठिन निर्णय भी तुरंत लेने में सक्षम थे। चुनौतियों से निपटते थे।
रतन टाटा हमेशा कुछ नया करने की सोचते थे। इसके चलते उन्होंने टाटा नैनो जैसी पहल की।
रतन टाटा का मानना है कि कर्मचारियों को सशक्त बनाना चाहिए। ऐसा माहौल बनाना चाहिए जहां वे बिना डरे फैसले ले सकें।
रतन टाटा संगठन के सभी स्तरों पर बेहतर कम्युनिकेशन करते थे। इससे स्पष्टता और पारदर्शिता सुनिश्चित होती है।
रतन टाटा जोखिम उठाने से डरते नहीं थे। सोच-समझकर जोखिम उठाने की उनकी क्षमता ने टाटा समूह के वैश्विक विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
रतन टाटा सामाजिक प्रभाव को प्राथमिकता देते थे। वह व्यवसाय वृद्धि के साथ-साथ सामुदायिक विकास परियोजनाओं में भी निवेश करते थे।
रतन टाटा नेतृत्व में अनुकूलनशीलता लाते थे। वे बदलती बाजार स्थितियों और चुनौतियों के आधार पर रणनीतियों में सुधार करते थे।
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