रतन टाटा के निधन के बाद माया टाटा को टाटा ग्रुप की विरासत का प्रमुख उत्तराधिकारी माना जा रहा है। उनके परिवार और पेशेवर योगदान को देखते हुए वे इस जिम्मेदारी को बखूबी निभा सकती हैं।
माया टाटा का एजुकेशन, एक्सपीरिएंस और पारिवारिक मूल्य उन्हें टाटा समूह का नेतृत्व करने के लिए उपयुक्त बनाते हैं। वे टाटा परिवार की परंपरा को आगे बढ़ाने की पूरी क्षमता रखती हैं।
माया टाटा, रतन टाटा के सौतेले भाई नूएल टाटा और आलू मिस्त्री की बेटी हैं। उनका संबंध भारत के सबसे प्रतिष्ठित व्यापारिक परिवारों में से एक, मिस्त्री और टाटा परिवार से है।
माया टाटा की मां आलू मिस्त्री, स्वर्गीय साइरस मिस्त्री की बहन हैं, जो टाटा समूह के पूर्व चेयरमैन थे। माया की बुआ रोहीका मिस्त्री धनी महिलाओं में हैं, संपत्ति ₹56,000 Cr से अधिक है।
माया टाटा ने बेयस बिजनेस स्कूल और यूनिवर्सिटी ऑफ वारविक, यूके से पढ़ाई की है। उनकी शिक्षा ने उन्हें ग्लोबल बिजनेस की समझ और चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों से निपटने की स्किल दी हैं।
माया ने करियर की शुरुआत टाटा अपॉर्चुनिटी फंड से की, जो प्रमुख प्राइवेट इक्विटी फंड है। यहां इनवेस्टमेंट मैनेजमेंट और इनवेस्टर्स से संबंधों को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई।
टाटा डिजिटल में माया ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और टाटा न्यू ऐप के लॉन्च में एक्टिव रहीं। यह ऐप डिजिटल युग में कंपनी को नई ऊंचाइयों पर ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम था।
माया टाटा मेडिकल सेंटर ट्रस्ट की बोर्ड सदस्य भी हैं। यह ट्रस्ट कोलकाता में स्थित एक प्रमुख कैंसर अस्पताल का संचालन करता है, जिसकी स्थापना 2011 में रतन टाटा ने की थी।