रतन टाटा नहीं रहे। वे अपने पीछे ऐसी विरासत छोड़ गए हैं, जिसपर भारत को गर्व होगा। आइए ऐसे 10 बातों के बारे में जानते हैं, जिनके चलते हमेशा रतन टाटा को याद किया जाएगा।
रतन टाटा ने भारत के मध्यवर्गीय परिवार के लिए टाटा नैनो कार लॉन्च की थी। यह दुनिया की सबसे सस्ती कार थी।
रतन टाटा ने जगुआर लैंड रोवर कंपनी का अधिग्रहण किया था। आज टाटा समूह की लैंड रोवर कारें पूरी दुनिया में बिक रहीं हैं।
कुत्तों के लिए रतन टाटा के प्यार को दुनिया जानती है। उन्होंने मुंबई में 165 करोड़ की लागत से कुत्तों का अस्पताल बनवाया था। यहां एक साथ 200 कुत्तों के इलाज की सुविधा है।
रतन टाटा ने कैंसर के इलाज के लिए टाटा मेमोरियल नाम से मुंबई, कोलकाता, चेन्नई और वाराणसी समेत कई शहरों में हॉस्पिटल बनवाया था।
रतन टाटा की दूरदर्शी सोच का नतीजा है कि टाटा ने भारत में इलेक्ट्रिक कारें तब बनाना शुरू कर दिया जब दूसरी बड़ी कंपनियां इसके बारे सोच नहीं रहीं थीं।
रतन टाटा ने टाटा ग्रूप का विस्तार किया। उनके नेतृत्व में TCS आईटी क्षेत्र की बड़ी कंपनी बनी।
टाटा समूह के मुनाफे का 65% से अधिक हिस्सा स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और कर्मचारी कल्याण सहित धर्मार्थ कार्यों के लिए दिया जाता है।
26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद टाटा ने यह सुनिश्चित किया कि ताज होटल के कर्मचारियों को उनका वेतन मिलता रहे भले ही होटल मरम्मत के लिए बंद हो।
रतन टाटा लाइसेंस प्राप्त पायलट थे। वह 2007 में लड़ाकू विमान F-16 फाल्कन उड़ाने वाले पहले भारतीय बने थे।
रतन टाटा को जानवरों खास तौर पर कुत्तों से गहरा लगाव था। टाटा समूह के मुख्यालय में उन्होंने मानसून के दौरान आवारा कुत्तों को शरण देने की परंपरा शुरू की थी।