'बजट' की उत्पत्ति फ्रांसीसी शब्द 'बौगेट' (Bougette) से हुई है, जिसका मतलब है 'छोटा थैला'। फ्रेंच में ये शब्द लैटिन भाषा के बुल्गा से आया है, जिसका अर्थ है 'चमड़े का थैला'।
पहले के समय में बड़े व्यापारी अपने व्यवसाय से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट्स एक थैले में रखते थे। धीरे-धीरे ये सरकारों के साल भर के आर्थिक बही-खाते से जुड़ गया और इसे 'बजट' नाम मिल गया।
164 साल पहले 7 अप्रैल, 1860 को देश का पहला बजट पेश किया गया था। इसे स्कॉटिश इकोनॉमिस्ट जेम्स विल्सन ने ईस्ट इंडिया कंपनी की ओर से पेश किया था।
वहीं, स्वतंत्र भारत का पहला बजट 16 नवंबर 1947 को पेश किया गया था। इसे देश के पहले वित्त मंत्री आरके षन्मुखम चेट्टी ने पेश किया था।
आजाद भारत के बजट की रूपरेखा पीसी महालनोबिस ने तैयार की थी। वे एक भारतीय वैज्ञानिक और सांख्यविद् थे। उनका जन्मदिन 29 जून हर साल सांख्यिकी दिवस' के रूप में मनाया जाता है।
1950 तक बजट राष्ट्रपति भवन में छपता था। लेकिन बजट दस्तावेज के लीक होने के बाद इसे दूसरी जगह शिफ्ट कर दिया गया। बाद में बजट की छपाई मिंटो रोड दिल्ली में शुरू हुई।
1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में छपता था। हालांकि, इसके बाद से सरकार ने इसे अंग्रेजी के साथ ही हिंदी में भी छापना शुरू कर दिया।
1973-74 के बजट को'ब्लैक बजट' कहते हैं। ये बजट 550 करोड़ रुपये घाटे का था। इस बजट पर साल 1971 में पाकिस्तान के साथ हुई जंग के अलावा खराब मानसून का असर पड़ा था।
सबसे ज्यादा बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के नाम 10 बार है। इसके बाद पी चिदंबरम 9 बार, प्रणब मुखर्जी ने 8 बार, यशवंत सिन्हा ने 8 बार और मनमोहन सिंह ने 6 बार बजट पेश किया।
बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बजट भाषण अब तक का रिकॉर्ड है। ये 2 घंटे 40 मिनट तक चला था। इस दौरान उन्होंने 2020 के अपने ही रिकॉर्ड (2 घंटे 17 मिनट) को तोड़ा था।