कार क्रैश टेस्ट से पता चलता है कि किसी कार में बैठे लोग कितने सुरक्षित हैं। इसी आधार पर उस कार को सेफ्टी रेटिंग दी जाती है।
दुनियाभर में कई संस्थाएं कार की क्रैश टेस्टिंग कर रेटिंग देने का काम करती हैं। चाइल्ड और एडल्ट के लिए अलग-अलग रेटिंग दी जाती है। अब इस लिस्ट में भारत का BNCAP आ गया है।
ANCAP (ऑस्ट्रेलियन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम), ARCAP (ऑटो रिव्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम), Euro NCAP (यूरोपीय न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम) कार क्रैश टेस्ट करती हैं।
ADAC (अलजाइमाइनर डॉयचर ऑटोमोबाइल-क्लब-जर्मनी), JNCAP (जापान न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम), L-NCAP, C-NCAP चीन न्यू कार असेसमेंट प्रोग्राम भी कार क्रैश टेस्ट करती हैं।
भारत में बनने वाली गाड़ियों की पहले टेस्टिंग GNCAP जैसी संस्था करती थी, लेकिन अब भारत की अपनी BNCAP की शुरुआत हो गई है। पुणे में कमांड सेंटर है। 1 अक्टूबर से टेस्टिंग होगी।
Global NCAP की शुरुआत अमेरिका में 1978 में हुई थी। इससे कार क्रैश टेस्ट की जाती थी। 2011 से G-NCAP यूके में रजिस्टरड इंडिपेंडेंट संस्था है, कारों की सेफ्टी रेटिंग देती है।
कार क्रैश टेस्ट करने के लिए उसमें 4 से 5 इंसानों की डमी को बैठकर फ्रंट सीट पर एडल्ट और बैक सीट पर ISOFIX एंकर सीट के साथ बच्चे की डमी रखी जाती है।
दूसरे स्टेप में कार को एक फिक्स स्पीड पर किसी कठोर ऑब्जेक्ट से टकराया जाता है। इससे फ्रंट साइड और पोल साइड इम्पैक्ट की जांच की जाती है।
कार में मौजूद एयरबैग और सेफ्टी फीचर्स कितना काम करता है, इसकी भी इस टेस्ट के जरिए जांच की जाती है।