CIBIL यानी (Credit Information Bureau India Limited) भारतीय रिजर्व बैंक से लाइसेंस प्राप्त क्रेडिट स्कोर की सूचना देने वाली संस्था है।
सिबिल, क्रेडिट संबंधी सभी गतिविधियों के रिकॉर्ड को मेंटेन करता है। भारत में सिबिल के अलावा Equifax, Experian और CFI Highmark भी क्रेडिट स्कोर देती हैं।
सिबिल स्कोर 300 से 900 अंकों के बीच होता है, जो किसी शख्स की क्रेडिट हिस्ट्री (कर्ज लेने और चुकाने की क्षमता) को दिखाता है।
सिबिल स्कोर से पता चलता है कि बैंक या नॉन-बैंकिंग संस्थाओं के साथ उस शख्स का लेन-देन कैसा रहा है। सिबिल स्कोर जनरेट करने के लिए कम से कम एक बार लोन लेना होता है।
सिबिल स्कोर एक दिन में नहीं बनता, इसके लिए 18 से 36 महीने का समय लगता है। यानी सिबिल स्कोर के लिए डेढ़ से तीन साल का समय चाहिए।
अगर किसी व्यक्ति का सिबिल स्कोर 750 या उससे ऊपर है तो इसे अच्छा माना जाता है। ऐसे शख्स का लोन अप्रूव होने में कोई दिक्कत नहीं आती।
अच्छे सिबिल स्कोर का मतलब है कि कर्ज लेने वाला शख्स पैसे के भुगतान में किसी तरह का डिफॉल्ट नहीं करेगा। वहीं, कम सिबिल लोन पाने की संभावनाओं को कम या खत्म कर देता है।
बता दें कि 300 से 550 तक का स्कोर कमजोर, 550 से 650 तक औसत, 650 से 750 तक अच्छा और 750 से 900 के बीच का सिबिल स्कोर सबसे अच्छा होता है।
कई बार लोग लोन लेने के बाद किश्तें और बिल समय से नहीं देते, जिसके चलते उनका क्रेडिट स्कोर यानी सिबिल खराब हो जाता है।
हम सोचते हैं समय से पैसा नहीं भरा तो लेट फीस लगेगी। लेकिन इससे सिबिल खराब हो जाता है। बाद में कभी इमरजेंसी लोन की जरूरत पड़ी तो बैंक खराब सिबिल स्कोर की वजह से लोन नहीं देंगे।