फिलिस्तीन समर्थित आतंकी संगठन हमास ने 7 अक्टूबर को अचानक इजराइल पर 5 हजार रॉकेट दागे। इस हमले में इजराइल के 1000 लोगों की मौत हो गई।
जवाब में इजराइल ने भी गाजा स्थित हमास के ठिकानों पर बमबारी की, जिसमें अब तक 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2500 लोग घायल हैं।
हर किसी के मन में सवाल उठ रहा है कि आखिर आतंकी संगठन हमास ने इजराइल पर अचानक हमला क्यों किया। दरअसल, हमास का मानना है कि इजराइल अल-अक्सा मस्जिद को अपवित्र कर रहा है।
यही वजह है कि हमास ने इस ऑपरेशन को अल-अक्सा फ्लड नाम दिया। वैसे, हमास भले ही इस मस्जिद को जंग की वजह बता रहा है, लेकिन इसके पीछे की असल वजह कुछ और ही है।
इजराइल पर हुए हमास के इस अटैक की इबारत 8 महीने पहले ही लिखी जा चुकी थी। इसमें अमेरिका-चीन के अलावा सऊदी अरब, ईरान और खुद इजराइल भी शामिल हैं।
7 अक्टूबर को इजराइल पर हमले के बाद हमास के प्रवक्ता गाजी हामद ने साफ कहा कि हमारा हमला उन अरब देशों को चेतावनी है, जो इजराइल से दोस्ती बढ़ाने की फिराक में हैं।
पिछले कुछ समय से ऐसी खबरें थीं कि सऊदी अरब इजराइल को देश के तौर पर मान्यता दे सकता है। सऊदी और इजराइल के बीच इस करार में अमेरिका मध्यस्थ की भूमिका में रहता।
दरअसल, अमेरिका मिडिल ईस्ट में चीन के बढ़ते दबदबे को खत्म करना चाहता है। इसलिए उसने सऊदी अरब और इजराइल को करीब लाने के लिए ये प्लानिंग की थी।
यही वजह थी कि वॉशिंगटन में अमेरिका के नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) जैक सुलिवन और मोसाद चीफ डेविन बार्निया के बीच लंबी वार्ता भी हुई थी।
इस बातचीत में इसी बात पर चर्चा हुई थी कि सऊदी अरब और इजराइल के डिप्लोमैटिक संबंधों को कैसे बेहतर बनाया जा सकता है।
हालांकि, अमेरिका सऊदी अरब और इजराइल के बीच कोई डील करा पाता, उससे पहले ही हमास ने हमला कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान अगस्त से ही हमास के साथ मिलकर हमले की प्लानिंग कर रहा था।