जस्टिस बीआर गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनने जा रहे हैं। उनका पूरा नाम भूषण रामकृष्ण गवई है। जानिए उनके जीवन, करियर और उपलब्धियों से जुड़ी 10 खास बातें।
जस्टिस बीआर गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती में हुआ। उनके पिता आर.एस. गवई मशहूर राजनेता रहे और बिहार, सिक्किम और केरल के राज्यपाल भी बने थे।
उन्होंने नागपुर यूनिवर्सिटी से B.A. और LLB की डिग्री हासिल की। यहीं से उन्होंने कानून की पढ़ाई की मजबूत नींव रखी।
16 मार्च 1985 को जस्टिस गवई ने वकील के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराया। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच से प्रैक्टिस शुरू की। वे मुख्य रूप से संवैधानिक और प्रशासनिक मामलों में माहिर रहे।
1992 से 1993 तक जस्टिस बीआर गवई असिस्टेंट गवर्नमेंट प्लीडर और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर रहे। 2000 में उन्हें गवर्नमेंट प्लीडर और पब्लिक प्रॉसीक्यूटर नियुक्त किया गया।
14 नवंबर 2003 को जस्टिस बीआर गवई बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज बने और 12 नवंबर 2005 को उन्हें स्थायी जज के रूप में नियुक्त किया गया।
लगभग 16 साल हाईकोर्ट में सेवा देने के बाद 24 मई 2019 को जस्टिस बीआर गवई को सुप्रीम कोर्ट के जज के तौर पर नियुक्त किया गया।
14 मई 2025 को जस्टिस गवई भारत के 52वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनेंगे। वे इस पद पर पहुंचने वाले अनुसूचित जाति समुदाय के दूसरे व्यक्ति होंगे, पहले थे जस्टिस के.जी. बालाकृष्णन।
जस्टिस गवई ऐसे पहले जज होंगे जो जस्टिस बालाकृष्णन के 2010 में रिटायरमेंट के बाद अनुसूचित जाति से चुने गए हैं, वो भी पूरे 9 साल बाद।
अब तक जस्टिस बीआर गवई 600 से ज्यादा फैसलों में शामिल रह चुके हैं। इनमें नोटबंदी का फैसला, अनुच्छेद 370 हटाने का मामला और प्रशांत भूषण अवमानना केस जैसे बड़े केस शामिल हैं।
जस्टिस गवई महाराष्ट्र नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, नागपुर के चांसलर हैं और NALSA के एग्जीक्यूटिव चेयरमैन भी हैं। वे न्याय तक पहुंच और कानूनी शिक्षा को बढ़ावा देने में सक्रिय हैं।