अनिल अग्रवाल वेदांता रिसोर्सेज के फाउंडर और चेयरमैन हैं, जिन्हें मेटल किंग भी कहा जाता है। आज वे भारत की सबसे ज्यादा चांदी उत्पादन करने वाली कंपनी के मालिक हैं।
1954 में पटना में जन्मे अनिल अग्रवाल मारवाड़ी परिवार से हैं। उनके पिता का छोटा सा एल्युमिनियम का कारोबार था। पढ़ाई में उनकी खास रुचि नहीं थी।
अनिल अग्रवाल ने बचपन से ही बड़े सपनों की ओर देखा। कॉलेज छोड़कर उन्होंने पिता के काम में हाथ बंटाया और अपने छोटे कदमों से बड़ी उड़ान भरने की तैयारी शुरू कर दी।
कम उम्र में अनिल मुंबई पहुंचे, जेब में बस थोड़े पैसे और बड़े सपने थे। 1976 में बैंक लोन लेकर उन्होंने शमशेर स्टर्लिंग कॉरपोरेशन खरीदी। शुरुआती दस साल मुश्किलों से भरे थे।
कर्मचारियों की सैलरी देना मुश्किल, कच्चा माल कम और घाटा लगातार बढ़ता रहा। लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी और लगातार अपने लक्ष्य की तरफ बढ़ते रहे।
1986 में प्राइवेट कंपनियों को टेलीफोन केबल बनाने की इजाजत मिली। अनिल ने तुरंत स्टरलाइट इंडस्ट्रीज शुरू की। यह देश की पहली कॉपर स्मेल्टर व रिफाइनरी बन गई। यही उनका टर्निंग पॉइंट था।
लगातार दबाव और घाटे के चलते अनिल करीब तीन साल डिप्रेशन में रहे। इस दौर में उन्होंने मेडिटेशन, धार्मिक स्थलों का सहारा लिया। पत्नी किरण अग्रवाल ने हर मुश्किल में हौसला बढ़ाया।
मुंबई में संघर्ष के बाद अनिल ने परिवार के साथ लंदन का रुख किया। 3-4 साल की मेहनत के बाद 2003 में वे वेदांता रिसोर्सेज को लंदन स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट कराने वाले पहले भारतीय बने।
सफलता मिलने के बाद अनिल अग्रवाल ने वेदांता फाउंडेशन बनाई और परिवार की 75% संपत्ति दान का संकल्प लिया। आज वेदांता ग्रीन एनर्जी, कार्बन न्यूट्रल बनने की दिशा में भी काम कर रही है।